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“निःशुल्क प्रेम की कीमत”  

“निःशुल्क प्रेम की कीमत”  

हम सभी ने कोरोना का भयावह युग देखा है जिसमे एक-एक साँस उखड़ती नजर आई। जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है और जीवन की पूर्णता भी मृत्यु में ही है जोकि निश्चित भी है, पर मृत्यु का ऐसा भयंकर तांडव भी आया जिसमे हर किसी का हृदय पसीज गया। ईश्वर की दी हुई सृष्टि में जीवन ही सबसे कीमती है और हर किसी के पास प्रेम निःशुल्क उपलब्ध है। परिवार के अनुरूप प्रेम के रूप अलग-अलग है पर यही प्रेम तो जीवन को श्रंगारित कर सकता है। जिस प्रेम की अभिव्यक्ति को करने में हम कंजूसी करते है यह निःशुल्क प्रेम तो हमारी और हमारे परिवार की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा सकता है। इस प्रेम की अभिव्यक्ति तो परिवार के किसी भी सदस्य के लिए हो सकती है। यदि परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे की सराहना प्रेमपूर्वक करें, एक दूसरे को गले लगाकर मनोबल बढ़ाएँ, प्रोत्साहित करें तो वह भी प्रेम का एक सुंदर स्वरूप ही है।
निःशुल्क प्रेम की कीमत का नहीं है कोई आकलन।
यह एहसास करता खुशियों का समाकलन॥
निःशुल्क प्रेम की अभिव्यक्ति है खास।
यह तो परिवार को देती खूबसूरत एहसास॥
प्रेम तो एक अदृश्य अनुभूति है जो हर ओर आशा और उत्साह की लड़ियाँ बिखेर देती है। इस निःशुल्क प्रेम को मौन की कैद में मत रखिए। प्रेमोत्सव के सप्ताह में अपने प्रेम को अपनी सुंदर अभिव्यक्ति का मौका दीजिए। यह प्रेम सामने वाली की प्रशंसा, उसकी अच्छाई, उसकी मौजूदगी से सुशोभित हो सकता है। यह प्रेम किसी के भी चेहरे की चमक बढ़ा सकता है। निराशा के बीज का अंकुरण होने से रोक सकता है। अवसाद का अवसान भी कर सकता है। असंवाद की स्थिति हर रिश्ते को बोझिल बना देती है। प्रेमपूर्वक किया गया संवाद सामने वाले का मनोबल भी बढ़ाता है। प्रेम की अभिव्यक्ति सम्मान में भी निहित है। प्रेम करना कभी भी किसी को नीचा दिखाने, महत्वहीन बताने में शोभायमान नहीं होता। प्रेम का ही रूप सामने वाली की सुरक्षा, ध्यान, देखरेख, अच्छाई और उन्नति में निहित है। यदि जीवन का अस्तित्व है तो कठिनाइयाँ भी रहेगी और वे समय-समय पर अपना रूप बदलती रहेगी, पर प्रेम तो शाश्वत है। कई बार जीवन के कडवे अनुभव हम पर हावी होने लगते है जिनके चलते हम मौजूद स्थितियों और लोगों की कद्र नहीं करते। असंतोष के मार्ग पर कदम बढ़ाते है और जो है उसकी कीमत न्यून कर देते है। यह परेशानियाँ, संघर्ष, तकलीफ़े हर समय नवीन रूप में जीवन में प्रत्यक्ष होती रहेगी, पर इसका तात्पर्य यह नहीं है की हम प्रेमपूर्वक बोली से खुशी के दो पल नहीं चुरा सकते। बंधन को निभाने के लिए और ऊर्जावान बनाने के लिए प्रेम का स्वाद अत्यधिक जरूरी है। प्रेम का जादू तो कई असंभव स्थितियों को भी संभव कर सकता है। प्रेम तो सबको अपने हिस्से के पल और खुशियों को मुस्कुराकर जीने वाला बनाता है।
प्रेम प्रतिबंधों की लड़ाई नहीं है प्रेम तो उम्मीदों का आशियाँ है। प्रेम तो परिवार के किसी भी सदस्य के लिए खुशियों की तलाश है। निःशुल्क प्रेम तो मीठी मुस्कान की वजह देता है। यह प्रेम तो जीवन को नए कलरव का गान देता है। निःशुल्क प्रेम में निहित सुख से असीम भविष्य में सुखो की कल्पना वाली स्वर्गिक अनुभूति यथार्थ होती है।
निःशुल्क प्रेम के होने से मजबूत होते है रिश्तों के धागे।
जिसके होने से वे लगातार बढ़ते आगे॥
इस प्रेमोत्सव में पारिवारिक रिश्तों को चमकाइए।
डॉ. रीना कहती, यादों की लड़ियों से खूबसूरत माला सजाइए॥
(लेखिका-डॉ. रीना रवि मालपानी )
 

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