
नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संबंधित स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने शुक्रवार को सरकार से अनुरोध किया कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में पेटेंट छूट चर्चा का प्रभावी और उपयोगी निष्कर्ष सुनिश्चित करे। एसजेएम ने कहा कि भारत को किसी भी बात के लिए तब तक सहमत नहीं होना चाहिए जब तक कि तकनीकी विशेषज्ञों की ओर से उसकी पूरी तरह से जांच और समर्थन न कर लिया जाए।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में मंच के सह समन्वयक अश्वनी महाजन ने कहा कि इस मामले में डब्ल्यूटीओ सचिवालय का तकनीकी सलाहकारों को शामिल किए बिना चर्चा करना अप्रत्याशित है।
उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि भारत यूरोपीय संघ, अमेरिका और डब्ल्यूटीओ के दबावों के आगे टिका हुआ है। हम आपसे इस रुख को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि इस वार्ता का असरदार और उपयोगी नतीजा निकले। इससे व्यापार-संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) समझौते से मिलने वाले लचीलेपन का विस्तार भी किया जाना चाहिए।'
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्तूबर 2020 में पेटेंट वार्ता को लेकर पहला प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में जिसमें सभी सदस्य देशों को महामारी के दौर में ट्रिप्स समझौते के कुछ प्रावधानों से राहत देने का सुझाव दिया गया था।
इसके बाद मई 2021 में इस संबंध में एक संशोधित प्रस्ताव भी पेश किया गया था। डब्ल्यूटीओ के 100 से भी अधिक देशों ने ट्रिप्स समझौते में कुछ छूट दिए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
महाजन ने पत्र में आगे कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों ही कोरोनोवायरस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों पर डब्ल्यूटीओ समझौते के कुछ प्रावधानों में अस्थायी छूट के अपने प्रस्ताव पर फैसला लेने पर जोर दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राहत का परिणाम अनिवार्य लाइसेंस (सीएल) व्यवस्था से अलग होना चाहिए। इसमें व्यापार गुप्त सुरक्षा भी शामिल होनी चाहिए, जो टीकों और कोविड मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के सामान्य उत्पादन के लिए बहुत आवश्यक है। इसमें पेटेंट हो चुके उत्पादों और उत्पादन के साथ लंबित पेटेंट आवेदनों वाले उत्पादों को भी शामिल किया जाना चाहिए।