YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

दही  का उपयोग करने में भी सावधानियां 

दही  का उपयोग करने में भी सावधानियां 

बेशक दही आपकी सेहत के लिए अच्छा प्रो-बायोटिक है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, ज्यादा स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए दही का सेवन करने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन हम सभी को करना चाहिए।
      सफेद, मलाईदार, थोड़ा खट्टा दही वैदिक काल से हमारे पूर्वजों के आहार का मुख्य हिस्सा रहा है। आज भी लोग अपने पाचन स्वास्थ्य को दुरूस्त रखने और प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए भोजन के साथ या भोजन के बाद दही का सेवन करते हैं। दही में राइबोफ्लेविन, विटामिन ए, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12 और पैंटोथेनिक एसिड का एक पॉवरहाउस है। इसमें लैक्टिक एसिड की भी पर्याप्त मात्रा होती है, जो पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करती है। वैसे भारत में दही का सेवन कई तरह से किया जाता है- जैसे दही-चावल, दही-चीनी, दही का रायता और कई लोग इसकी स्मूदी भी बनाकर खाते हैं।
      उबले हुए दूध को प्राकृतिक रूप से खट्टा करके बनाए गए दही में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो न केवल हमारे पाचन तंत्र को पोषण देते हैं, बल्कि प्रतिरक्षा को मजबूत बनाने का भी काम करते हैं। आयुर्वेद में ज्यादा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए दही का सेवन करने के कुछ नियम हैं। 
      रोचनं दीपनं व्रष्यं स्नेहनम बलवर्धनम .पाकेमलमुष्णं वातघ्नं मंगलयं  बृंहणं दधि .
       पीनसे चातिसारे च शीतके विषमज्वरे .अरुचौ मूत्रवृच्छे च काश्र्ये च दधि शसयतें .(च. सूत्र २७ )
     दही, पूर्ण वसा,पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस),उर्जा 60 किलो कैलोरी   260 kJ
  कार्बोहाइड्रेट     4.7 ग  ,- शर्करा 4.7 g (*) ,वसा 3.3 ग ,- संतृप्त  2.1 ग - एकल असंतृप्त  0.9 g  प्रोटीन 3.5 ग राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.14 mg   9% कैल्शियम  121 mg 12%
   (*) लैक्टोज़ की मात्रा भंडारण के दौरान घटती है।
       गुण --गुरु, स्निग्ध, रस --अम्ल  कषाय ,विपाक-- अम्ल,वीर्य -उष्ण   
      दूध न हजम हो तो खाएं दही
     आयुर्वेद के अनुसार, दही स्वाद में खट्टा, प्रकृति में गर्म होने के अलावा पचाने में बहुत समय लेता है। हालांकि यह वजन बढ़ाने के लिए अच्छा है। इसके अलावा यह शक्ति में सुधार करने के साथ कफ और पित्त को बढ़ाता है और अग्रि यानी पचन शक्ति में सुधार के लिए भी जाना जाता है।
    बता दें कि लैक्टोज इनटॉलेरेंस के साथ कैल्शियम और फॉस्फोरस की जरूरत का ख्याल रखने वालों के लिए दही अच्छा विकल्प है। क्योंकि दूध में लैक्टोज इंजाइम की मदद से लैक्टिक एसिड में बदल जाता है, जो फर्मेन्टेड बैक्टीरिया में पाए जाते हैं।
     दही का सेवन करते समय न करें ये गलतियां-
    रोजाना दही ना खाएं
     रोजाना दही का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बजाय आप मठ्ठा, छाछ का सेवन कर सकते हैं। इसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा जैसे मसाले मिलाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने गए हैं।
   मोटापे में न खाएं दही
   जिन लोगों में मोटापा, सूजन, कफ डिसऑर्डर और सूजन की स्थिति वाले लोगों को दही का सेवन करने से बचना चाहिए।
    दही को फ्रिज में स्टोर न करें
     घर के बने दही को कभी भी फ्रिज में स्टोर करके ना रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे ही हम दही को फ्रिज में रखते हैं, तो बैक्टीरिया की गुणवत्ता कम होने के साथ फायदे भी कम हो जाते हैं। जबकि बाजार का दही ठंडा होने के कारण ज्यादा हैवी हो जाता है, जिससे इसे पचाना मुश्किल हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, ठंडे या बाजार के दही खाने से वजन बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है।
    दही को कभी गर्म ना करें-
    दही को गर्म न करने की सलाह देती हैं। गर्म करने के बाद इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और यह स्वास्थ्य को फायदा नहीं पहुंचाता।
    रात के समय न करें दही का सेवन
     आयुर्वेद के अनुसार, रात में दही का सेवन करना नुकसानदायक है। बेहतर है कि आप दिन के समय दही खा लें।
    फलों के साथ ना मिलाएं
    दही को कभी भी फलों के साथ मिलाकर नहीं खाना चाहिए। लंबे समय तक इसके सेवन से चयापचय संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है।
     मांस और मछली के साथ ना खाएं
   मांस और मछली के साथ दही का कॉम्बिनेशन अच्छा नहीं है। चिकन, मटन या मछली जैसे मांस के साथ पकाए गए दही का कोई भी संयोजन शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करता है।
     आयुर्वेद के अनुसार रोजाना दही खाने से सेहत को नुकसान होता है। इसलिए यदि आप दही खाना चाहते हैं, तो कभी-कभार दोपहर के समय और कम मात्रा में लेना अच्छा तरीका है।
         रात्रि में दही क प्रयोग न करे .बिना चीनी -घी मिलाएं भी न खाएं .आंवले के साथ खाये .दही गर्म करके न खाये .रक्तपित्त ,कफविकार तथा शोथ में प्रयोग न करे .शरद ,ग्रीष्म और वसंत में दधि नहीं खाना चाहिए .
       उपद्रव ----दही के अनियमित तथा अति सेवन से ज्वर ,रक्तपित्त ,विसर्प ,कुष्ठ ,पाण्डु ,कामला ,शोथ रोग होते हैं 

(लेखक-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)
 

Related Posts