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फ्लू संक्रमण और सर्दी-जुकाम में ऐसे मिलेगी राहत  

फ्लू संक्रमण और सर्दी-जुकाम में ऐसे मिलेगी राहत  

हमें हमेशा से यह पता है कि हम जब छींकते हैं या खांसते हैं तब सर्दी-जुकाम का वायरस फैलता है। छींकने या खांसने से हवा में सैकड़ों कण फैल जाते हैं और हम जब सांस लेते हैं तो यही वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। एक से चार दिन के भीतर पूरे शरीर में यह फैल जाता है। इसे हम कॉमन कोल्ड या अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (संक्रमण) कहते हैं। अब एक नये अध्ययन में यह सामने आया है कि बीमार व्यक्ति के मात्र सांस लेने से भी सर्दी-जुकाम फैल सकता है।  
शोध में पाया गया है कि सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के मात्र सांस लेने से वायु में वायरस फैल जाते है। जिससे सर्दी-जुकाम का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दी-जुकाम एक हल्की तथा सामान्य शारीरिक गड़बड़ी है, जो आमतौर पर एक हफ्ते में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन कई बार जरूरी सावधानी न बरतने के कारण यह फ्लू, ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकोनिमोनिया आदि का रूप भी धारण कर सकती है। सर्दी-जुकाम होने के प्रमुख कारणों में वायरल इन्फेक्शन, मौसम का बदलना, ठंडी हवा का लगना, अनुपयुक्त आहार, व्यायाम का अभाव, मांसपेशियों का शिथिल पड़ना, कब्ज की शिकायत आदि प्रमुख हैं। योग के नियमित अभ्यास से इस समस्या की चपेट में आने से बचा जा सकता है।
योग शरीर और मन, दोनों को संतुलित, समन्वित तथा क्रियाशील रखता है। इसके नियमित अभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिसके कारण सर्दी-जुकाम की समस्याओं का सामना कम करना पड़ता है। सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोग कुछ सावधानियां बरतकर और तबियत में कुछ सुधार आने के बाद योग का अभ्यास करके जुकाम से राहत पा सकते हैं। 
उपवास है बेहतर विकल्प 
सर्दी-जुकाम तथा वायरल इन्फेक्शन आदि की स्थिति में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में उपवास सबसे बेहतर विकल्प है। उपवास या आहार नियंत्रण द्वारा इस समस्या को पूरी तरह टाला जा सकता है। जैसे ही रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखें, यदि संभव हो तो दिन भर का या एक समय का भोजन त्याग दें। रोग की तीव्रता तुरंत आधी हो जाएगी। साथ में दिन भर हल्के गर्म पानी का सेवन करते रहें। अदरक, काली मिर्च, दालचीनी तथा मेथी की चाय नियमित अंतराल पर पिएं और आराम करें। केवल एक दिन उपवास, पूर्ण विश्राम तथा योगनिद्रा के अभ्यास से सर्दी-जुकाम को ठीक किया जा सकता है। स्वस्थ होने पर यदि कुछ यौगिक क्रियाओं का अभ्यास किया जाए तो रोग के बाद की कमजोरी व पीड़ा को कम तो किया ही जा सकता है, साथ में भविष्य में होने वाले किसी भी रोग की आशंका को भी टाला जा सकता है। 
करें ये योगासन 
जुकाम ठीक होने के बाद शुरुआत में हल्के आसन जैसे पवनमुक्तासन, वज्रासन, शशांकासन, मेरुवक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन आदि का ही अपनी क्षमता को ध्यान में रखते हुए अभ्यास करें। धीरे-धीरे जैसे शरीर की क्षमता में वृद्धि हो, अभ्यास में जानुशिरासन, सुप्त वज्रासन, ताड़ासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, त्रिकोणासन आदि को जोड़ देना चाहिए। यदि सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास किया जाए तो सर्दी-जुकाम , खांसी आदि के साथ-साथ अन्य रोगों की आशंका भी कम हो जाती है।
प्राणायाम है कारगर
जुकाम, खांसी, बुखार (वायरल) के ठीक होने पर सरल कपालभाति तथा नाड़ीशोधन प्राणायाम का अभ्यास करने से कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, उत्साह एवं स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। नियमित प्राणायाम करने से बंद नाक और कफ से होने वाली समस्या में भी राहत मिलती है। योगासन की शुरुआत कर रहे हैं तो विशेषज्ञ की देख-रेख में ही करें।
नाड़ीशोधन प्राणायाम की अभ्यास विधि
सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दाईं नासिका को बंद कर बाईं नासिका से गहरी, धीमी व लंबी सांस अंदर लें। उसके बाद बाईं नासिका को बंद कर दाईं नासिका से लंबी-गहरी तथा धीमी सांस बाहर निकालें। इसके तुरंत बाद इसी नासिका से श्वास लेकर बाईं नासिका से प्रश्वास करें। यह नाड़ीशोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति है। शुरुआत में 10 आवृत्तियों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे इसकी आवृत्तियों की संख्या बढ़ा कर 24 तक कर लें
 

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