
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित अनेक नेताओं के नफरती भाषणों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दायर याचिका पर उन्हें नोटिस जारी किए। आरोप है कि इन नेताओं के नफरती भाषणों की वजह से ही फरवरी, 2020 में दंगे हुए थे। याचिका में इन नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उनके खिलाफ जांच शुरू करने के लिए पक्षकार बनाने का अनुरोध किया गया है।
उत्तर पूर्व दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदिरत्ता की पीठ ने उन सभी प्रस्तावित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जिनके जिनके खिलाफ याचिका में कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। पक्षकार बनाने के लिए एक याचिका शेख मुजतबा फारूक ने दाखिल की है, जिन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा ,प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है। अन्य अर्जी याचिकाकर्ता ‘लॉयर्स वॉयस’ की है जिसने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के पूर्व विधायक वारिस पठान, महमूद प्राचा, हर्ष मंदर, मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल, स्वरा भास्कर, उमर खालिद, बीजी कोलसे पाटिल और अन्य के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है।
अदालत ने कहा,‘‘ इससे पहले कि हम पक्षकार बनाए, हमें उन्हें एक अवसर देना होगा। अगर उन्होंने इसका विरोध किया तो हम पक्षकार नहीं बना सकते।’’ गौरतलब है कि पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा था कि दंगों की जांच से अब तक कोई सबूत सामने नहीं आया है कि राजनीतिक नेताओं ने हिंसा भड़काई या इसमें शामिल थे। मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।