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मोदी के ’फार्मुले‘ से भाजपा में बैचेनी....! 

मोदी के ’फार्मुले‘ से भाजपा में बैचेनी....! 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के वंशवाद के फार्मुले को लेकर देश भर के भाजपा नेताओं की बैचेनी बढ़ गई है और इन नेताओं के बच्चों के भविष्य के सामने प्रश्नचिन्ह लग गया है। मोदी जी ने पिछले दिनों एक सार्वजनिक बयान में ’सांसदों के बच्चों‘ के टिकट काटने और वंशवाद को लोकतंत्र के लिए खबरा बताया था। भारतीय जनता पार्टी के पूरे देश में हजारों ऐसे नेता है, जिनके बेटे-बेटी पिछले एक दशक से भी अधिक से राजनीति में सक्रिय है तथा अगले लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनावों में टिकट की दावेदारी प्रस्तुत कर रहे है। मोदी केक इस बयान में उनका पुरजोर साथ दिया है उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। इसलिए भाजपा के पीडित नेता व्यक्तिगत चर्चा में यह कह रहे है कि यह वंशवाद विरोधी नारा वे ही नेता उठा रहे है जिनका अपना स्वयं का कोई परिवार नहीं है।  
यदि हम फिलहाल पूरे देश की बात छोड़े और सिर्फ मध्यप्रदेश की ही बात करें तो मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह तोमर, स्वयं शिवराज सिंह, वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव, राष्ट्रीय नेता प्रभात झा आदि अनेक नेता है जो मोदी जी के इस बयान से सहमत नहीं है, क्योंकि इनके बेटे-बेटी पहले से ही राजनीति में दस्तक दे चुके है। राज्य के एक मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा तो सार्वजनिक बयान जारी कर मोदी जी के इस फार्मुले का विरोध कर चुके है। श्री सखलेचा का कहना है कि जिन भाजपा नेताओं के बच्चें पिछले कई वर्षों से जिन क्षेत्रों में सक्रिय होकर पार्टी का काम कर रहे है, उन क्षेत्रों में ”पैराशूट लैण्डिंग“ नही होनी चाहिये क्योंकि इससे पार्टी को भारी क्षति पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।  
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश के साथ चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में राजनीति में परिवारवाद पर कटाक्ष करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि- ”अगर विधानसभा चुनावों में आपके बच्चों के टिकट कटे है तो उसकी एकमात्र वजह मैं (स्वयं मोदी) हूँ, क्योंकि मेरा मानना है कि वंशवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है, परिवारवाद से जातिवाद को बढ़ावा मिलता है।“, इस गाईड लाईन के हिसाब से प्रदेशों में बड़े नेताओं के बेटे-बेटियों के टिकट कट सकते है। प्रधानमंत्री जी के इसी सार्वजनिक बयान के बाद मध्यप्रदेश के मंत्री सखलेचा ने कहा था कि- ”कम से कम पांच साल से जमीनी राजनीति करने वाले नेता पुत्रों को टिकट दी जानी चहिये, कई नेताओं के बेटे-बेटी कई वर्षों से ’फुल टाईम‘ काम कर रहे है, उनके टिकट सिर्फ इसलिए काट दिये जाएँ कि वे ’नेतापुत्र‘ है तो उनके जीवन के साथ न्याय नहीं होगा।“  
यद्यपि प्रधानमंत्री मोदी जी ने उक्त विचार प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस को लेकर व्यक्त किया था, साथ ही समाजवादी दल भी मोदी के इस वक्तव्य के दायरे में आते है, स्वयं भाजपा भी इस मामले में कांग्रेस से पीछे नही है, यह सभी जानते है, लेकिन मोदी के इस बयान ने हजारों भाजपा नेताओं के बैचेनी अवश्य बढ़ दी है तथा उन्हें उनके पुत्र-पुत्रियों के भविष्य अंधकारमय नजर आने लगे है।  
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री जी के पुत्र कार्तिकेय सिंह, गोपाल भार्गव के पुत्र अखिलेश भार्गव, नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण मिश्रा, प्रभात झा के बेटे तृष्मूल झा, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यन सिंधिया, सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन तथा कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय जैसे मध्यप्रदेश में दौ सौ से अधिक भाजपा नेता है, जिनके बेटे-बेटी राजनीति में सक्रिय है, कैलाश विजयवर्गीय सहित तीन नेताओं के बेटे तो राज्य विधानसभा के सदस्य है।  
इस प्रकार कुल मिलाकर प्रधानमंत्री जी का वंशवाद सम्बंधी बयान भाजपा नेताओं को पच नहीं रहा है, कुछ नेताओं ने तो व्यक्तिगत चर्चा में यहां तक कहा कि- ”यही सब चलता रहा तो पार्टी का भविष्य ठीक नही रह पाएगा, वैसे ही मोदी के चमत्कार की चमक धीरे-धीरे कम हो रही है, यदि मोदी जी का यह फार्मुला लागू हो गया तो इससे भाजपा को भारी नुकसान सहन करना पड़ेगा।“    
 (लेखक-ओमप्रकाश मेहता) 

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