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बच्चों को भेदभाव न सिखायें 

बच्चों को भेदभाव न सिखायें 

आमतौर पर अभिभावक आज भी जाने अनजाने बच्चों (लड़के और लड़की) में भेदभाव के बीज बचपन में ही बो देते हैं। जो आज के दौर में ठीक नहीं कहा जा सकता। 
आपको समझना होगा कि अब दुनिया में महिला और पुरुष की भूमिकाओं में भेद नहीं रहा है। अब कोई करियर या कोई भी हुनर किसी के भी पास हो सकता है। इसलिए बचपन से ही अपनी लड़की या लड़के से ‘ये मत करो’ कहना बंद करें। ये ‘मत करो क्योंकि लड़की हो या वो मत करो क्योंकि लड़के हो’ वाली बात अब पीछे रह गयी है। आप भी इसे छोड़ दीजिए। वरना आपके बच्चे बहुत पीछे रह जाएंगे। जब उन्हें दुनिया में बराबरी से काम करना है, सफल होना है, तो इन सारी स्थितियों को संभालने का प्रशिक्षण भी बराबरी से मिलना चाहिए। समाज की सोच में बदलाव हमारी सोच में बदलाव लाने से शुरू होगा।
बच्चे का शौक उसकी इच्छा से चुनें
माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे बच्चे को उनका शौक स्वयं तय करने की आजादी दें। उसके लिए हॉबी क्या होगी, उसे उन्हें खुद पसंद करने दें। जैसे उन्हें खिलौनों की दुकान ले जाएं और  बच्चे को उनकी पसंद के हिसाब से खिलौना खरीदने दें। बच्चों के शौक बदलने की कोशिश नहीं करें। इससे बच्चों में खुद की क्षमताओं को लेकर किसी तरह का कोई शक नहीं आता। इससे उनकी क्षमताओं का ज्यादा विकास होता है।
बढ़ेगा आत्मविश्वास 
लड़का-लड़की के फर्क से मुक्त रहकर अपने बच्चों को पालने का सबसे पहला फायदा तो यही होता है कि बच्चे में संकोच विकसित नहीं होता है। इसकी वजह से उनमें अलग ही तरह का आत्मविश्वास घर कर जाता है। उनके  व्यक्तित्व में खुद को सही तरह से प्रस्तुत करने की अनोखी शक्ति आ जाती है। दूसरा वे किसी की कॉपी कैट नहीं होते। ऐसे बच्चे कहीं भी किसी भी समाज में अपनी जगह बनाने में सक्षम होते हैं और सफल रहते हैं।
खुद भी बनें उदाहरण। 
फर्क ना करें
बाजार लड़के के लिए अलग और लड़कियों के लिए अलग चीजों से पटा पड़ा है। जिस टिफिन में सुपरमैन बना है वो लड़कों के लिए और जिस पर बार्बी बनी है, वो लड़कियों के लिए, वाले नियम माता-पिता भी पूरी शिद्दत से मानते हैं। जबकि ये गलत है। बच्चों को इन जैसी चीजों में भी अपनी पसंद ढूंढ़ने दीजिए। 
वो बातें जो बच्चों को जरूर समझाएं
घर का हर काम परिवार के हर सदस्य की जिम्मेदारी है। 
किचन के काम सिर्फ महिलाओं के नहीं होते हैं। 
कमाने का हक और जिम्मेदारी सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं महिलाओं के लिए भी है।
लड़की हो या लड़का, किसी भी पेशे में जा सकते हैं।  
सामाजिक नियम-कायदे लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए बराबरी के होते हैं या फिर बिलकुल नहीं होते।
 

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