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मनोकामना पूर्ण करने वाले श्री शनि महाराज  (30 अप्रेल 2022 शनिश्चरी अमावस्या पर विशेष)  

मनोकामना पूर्ण करने वाले श्री शनि महाराज  (30 अप्रेल 2022 शनिश्चरी अमावस्या पर विशेष)  

भारत वर्ष में कई हजरों वर्ष पुराने प्राचीन मंदिर आज भी अपना भव्यता लिये हुए है उन्हीं में मुरैना जिला (म.प्र.) स्थित हजारों वर्ष शनि मंदिर है। भारत में कई प्राचीन शनि मंदिर है। इस शनि मंदिर की मान्यता दूसरे शनि मंदिरों से ज्यादा है। (1) मुरैना जिला शिंगणांपुर महाराष्ट्र में है। ग्वालियर स्थित शनि जनश्रुति के अनुसार शनि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महाराज विक्रममादित्य ने करायी थी। पुरातत्व विभाग के अनुसार उक्त मंदिर आज भी कुशवाह,चन्देल,जाट सिंधिया। राजा सिंधिया द्वारा मंदिर के पुराने स्वरूप को तोड़कर नया मंदिर बनवाया गया। मंदिर की प्रतिमाा जैसी की तैसी अपने स्थान पर रहीं। मंदिर में स्थापित शनिदेव महाराज की मूर्ति विश्व में एक मात्र है, इतनी बडी मूर्ति कहीं भी उपलब्ध नहीं है। प्रतिमा की ऊॅचाई लगभग पाॅच फुट है। प्रतिमा एक ही पत्थर पर उकेरी गई है। शनि मंदिर शनि पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत का अपना एक अलग स्थान है, जिस स्थान पर य शनि मंदिर है उसय स्थान पर एशिया का मध्य बिन्द स्थित है तेंत्रायुग में जब रावण ने शनि महाराज को रावण क चुंगल से मुक्त कराया था। लंका से हनुमान जी ने शनि महाराज को शनि पर्वत पर स्थान दिया था। कि शनि मंदिर पर कभी एक दर्जन से अधिक मंदिर थे, देखभाल के अभाव में कई मंदिर नष्ट हो गये है, उनकी प्रतिमा आज भी बिखरी पड़ी है। शनि मंदिर तीन मंजिल है, मंदिर से पुरानी सम्पदाओं की समय-समय पर चोरी होती रहती हे।, मंदिर एकान्त में होने के कारण चोरी का शीघ्र मालूम नही पड़ता था। कहा जाता है कि शनि मंदिर से शनि मंदिर के गुम्मट पर सोने का कलश चोरी हो गया। सन 1983 में मंदिर से 14 वेष कीमती मूतियां चोरी हो गई। जिसमें राधा कृष्ण की अष्ट धातु की प्रतिमा दुर्लभ राहू केतु की प्रतिमा एवं मुम्मट के चारो और चारो दिशाओं को देखने वाले चार शेर भी चोरी हो गये।इन चोरियों की रिपोर्ट थाने में दर्ज है। मंदिर की ऐसी मान्यता है कि शनिदेव के समक्ष पहुॅचकर मानी हुई मान्यता कि शनिदेव के समक्ष पहुॅचकर मानी हुई मान्यता पूर्ण हो जाती है। शनिचरी अमावस्या को यहाॅ एक विशाल मेला लगता है। जिसमें म.प्र. के अलावा राजस्थान उत्तरप्रदेश्, दिल्ली हरियाणा, आदि दूर-दूर से शनि महाराज के दर्शन करने आते है। मंदिर के पुजारी श्री शिवरामदास त्यागी बाबा ने बताया कि विदेशो से भी लोग मंदिर में दर्शन करने आते रहते है। 
शनि मंदिर के पास शनि पहाड से गंगा के रूप में पहाड़ का सीना चीरकर पानी की धारा निकलती है, यह धारा शनि मंदिर के अन्दर बने तालाब पर आती है, जहाॅ भक्तगण 12 माह इस तालाब में नहाकर शनि मंदिर के दर्शन करने जाते है। शनि मंदिर में पांच हजार वर्ष पुरानी हनुमान जी की दुर्लर्भ प्रतिमा है। जो अलौलिक व परिवर्तनशील है। हनुमान प्रतिमा बाएं हाथ पर पर्वत लिए हुए है। पर्वत पर मंदिर है मंदिर पर रूदाक्ष के पेड़ है हनुमान जी के गले में रूद्राक्ष की माला व कमर में कटार है और पैरों के नीचे एक बालक दबा है, बालक कौन है, इसका इतिहास नहीं है। शनि मंदिर में महादेव जी का एक प्राचीन मंदिर भी है, साथ में राधाकृष्णा मंदिर है। वर्तमान में ट्रस्ट द्वारा श्री गणपति जी व श्री महाकाली मंदिर का निर्माण कराया गया है। 
म.प्र. सरकार ने ट्रस्ट को अपने अधीन ले लिया है, यह मंदिर मुरैना जिला के अंतर्गत आता है। श्ऱद्धालुगा द्वारा भी समय समय पर शनि मंदिर पर कार्य करवाया गया है। 
वेद पुराणों के अनुसार सूर्य की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ, शनि के  श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि मेरा नही है तभी से शनि अपने पिता से शत्रुभाव रखता है। शनिदेव ने अपनी साधना-तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न किया भगवान शिव ने वरदान मांगने के लिये कहा तब शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगो-युगो से मेरी माता छाया की पराजय होती रही है, मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत ज्यादा अपमानित व प्रताड़ित किया गया है। मेरा पुत्र शनि अपने पिता से मेरे अपमान  का बदला ले, और उनसे भी अधिक शक्तिशाली बने।
तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि कलयुग में तुम्हारा विशेष प्रभाव रहेगा। कलयुग में तुम्हे सर्वेच्चय न्यायाधीश का पद प्राप्त होगा। शनि महाराज काल का प्रतिनिधित्व करते है और शनि भाग्य का प्रतीक है, भाग्य पुरूषार्थ से बनता, बिगड़ता है। 
शनि का सम्बन्ध जीवन के नियमों नैतिक अनुशासन से है। उनकी अवहेलना करने पर शनि महाराज कुपित हो जाते है और दण्ड देते है। शनि देव ही व्यक्ति के अंदर करूणा-संवेदना के रूप में प्रकट होता है वह सब कुछ खोकर आत्मानुभूति सन्यास के रूप में देता है और व्यक्ति को समाजोपयोगी बनाता है शनि महाराज कलयुग में सर्वोच्च न्यायाधीश के पद पर विराजमान है। शनि अंमगलकारी नही मंगलकारी भी है। यह दुःखकारक नहीं सुखकारक भी है। शनिदेव तो परम न्यायाधीश है, व्यक्ति को उसके कार्यानुसार  राष्ट्र को कर्मानुसार पुरस्कृत व दण्डित करते है इसमें शनि महाराज का कोई दोष नही वह तो परमात्मा का प्रतिनिधित्व करते है, जो कुशल न्यायाधीश की भांति अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्य का निर्वाह कर रहे है। 
वैज्ञानिक के अनुसार शनि सौर मण्डल का सबसे सुन्दर गृह है। शनि पृथ्वी से 85 करोड मील दूर, शनि का व्या 250,000 मील है। अपनी धूरी पर 10 या 12 घण्टे में एक चक्कर लगा देता है। शनि ग्रह सूर्य से 88 करोड 60 लाख मील दूर है। शनि ग्रह की गुरूत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की अपेक्षा 95 गुना अधिक है। अमेरिका ने अपने अंतरिक्ष यान वाईजर-01 के माध्यम से सैकडों चित्र शनि गृह के धरोतल क लिए है। शनि अत्यंतम मंद गाति से चलता है। इसलिए इसे शनैश्चर कहते है। शनि सैरमण्डल का इतना प्रभाव गृह है। कि अपनी असीम शक्ति से देवताओं देवताओ को पराभूत कर देता है। शनि कि प्रतिकूल दृष्टि जितनी दुःखदायी है, उतनी सुखदायी और कल्याणकारी भी है। शनि की प्रतिकूलता से अच्छे-अच्छे सम्राज, राजनेता, प्रषासक धूल धूूसरित होते देखे गये है। देवता तक शनि से आतंकित रहते है। राजा हरिशचन्द्र, पाण्डव, राजा बलि, श्री रामचन्द्र महारथी, रावण व राजा नल को शनि ने दारूण दुःख देकर राह का भिखारी बना दिया। शनि की कुदृष्टि करोड़पति को कंगाल और कंगाल को अरबपति बना सकती है। शनि देव के विभिन्न नाम का व्यक्ति प्रातःकाल लेने पर शनि महाराज की विशेष कृपा रहती है। नाम- रविनंदन, छायासुत, कोणस्थ, पिंगल, बभु कृष्णा, रौद्रान्तक, यम सौरि, शनैश्चर आदि नामो से जाने जाते है। 
शनिदेव की कृपा प्राप्ति के उपायः- 
(1)    इस मंत्र ‘‘ ऊँ शं शनैश्वराय नमः का जाप करें तथा शनि महाराज का आव्हान इस मंत्र के द्वारा नीलांजन सभाभांस रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
(2)    सूर्यादय के पूर्व प्रति शनिवार पीपल वृक्ष क नीचे एक लोटा जल चढ़ाये अगरबत्ती जलाकर सरसों तेल का दीपक जलायें । (3) सूर्याेदय के पूर्व या सूर्यास्त के पश्चात शनि स्त्रोत मंत्र चालीसा का पाठ करें, हनुमान जी महाराज के दर्शन करें। (4) काली गाय का पूजन कर गाय को काले चने के साथ गुड़ खिलायें (5) काले कुत्ते या कौवे को तेल में तली हुई गुड में बनी मीठी रोटी दें। (6) भिखारी, अपाहिज, कोढ़ी व्यक्ति को शनिववार के दिन काले वस्त्र, लोहे की बनी दैनिक जीवन में उपयोगी सामग्री दान में दे। (7) अपने अधीनस्थ कर्मचारी, नौकरों सेवकों से सही व्यवहार करें। 
भक्तो के ठहरने के लिए बड़ी धर्मशाला भी है। शनि मंदिर ग्वालियर से 20 किलोमीटर दूर महाराजपुरा हवाई अड्डे के पास से जाने का रास्ता है, दूसरा रास्ता मुरैना जिले के बानमौर से होकर शनि मंदिर के लिये जाता है। इस शनिचरा मंदिर 30 अप्रेल 2022 को शनि अमावस्या पर विशाल मेला मुरैना जिले में भरा जायेगा। 
इस मंदिर के व्यवस्था को सूचारू रूप से चलाने के लिये भूतपूर्व कलेक्टर जिलाधीश महोदय श्री एम.के.अग्रवाल जी ने बहुत काम कराया। 
(लेखक-- विष्णु अग्रवाल )
 

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