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बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें  

बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें  

विद्यार्थी जीवन में पढऩा जरूरी है पर पढ़ाई के साथ साथ शारीरिक और मानसिक फिटनेस के लिए खेलना भी उतना ही जरूरी है। खेलने से बच्चे सेहतमंद रहते हैं।  खेलने से बच्चों को कई लाभ होते हैं। उनके संपूर्ण विकास हेतु उनकी रूचि अनुसार उन्हें विशेष खेल का प्रशिक्षण दिलाया जाए तो बच्चे खेलों में अपना करियर तक बना सकते हैं। खेलने से क्या बच्चे को होता है क्या लाभ 
शारीरिक और मानसिक फिटनेस बनती है :
कोई भी खेल खेलने के लिए बच्चों का शारीरिक विकास तो होता है, साथ ही मानसिक भी क्योंकि उन्हें हर समय सजग रहना पड़ता है। अपनी आंखों, दिमाग और शरीर के अंगों का समय पर प्रयोग जो करना होता है।   खेलों में भी उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सतर्क रहना पड़ता है। इस प्रकार खिलाड़ी अपनी जिंदगी में भी हमेशा जागरूक बने रहते हैं।
टीम भावना का होता है विकास 
खेलों में जाने से बच्चे अनुशासित बनते हैं, समय की कीमत समझते हैं और उनमें टीम भावना जागृत होती है। दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करना है, टीम में रहकर शेयर करना, जीत हार का अर्थ समझ आता है। टीम में छोटे बच्चे हैं उनसे प्यार करना और बड़ों के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करना सीखते हैं।
निराशा से होते हैं दूर :
नियमित खेलने वाले बच्चे अवसाद से दूर रहते हैं क्योंकि उनके पास फालतू बातों का समय नहीं होता क्योंकि खेल में व्यस्त रहते हैं। उनकी ऊर्जा को सही रास्ता खेलों द्वारा मिलता है।
धैर्य और अनुशासन सीखते हैं:
खेलने से बच्चों में धैर्य का विकास होता है। उन्हें पता होता है अपनी बारी आने पर ही खेलना है और वे अपनी बारी का इंतजार करते हैं। समय पर खेल के मैदान में जाना, अपनी टर्न पर खेलना, कोच की बात को ध्यान से सुनना आदि।
जीत का जुनून :
खेल में बच्चे जब जीतते हैं उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। इस प्रकार जीतने की ललक उनमें बनी रहती है। प्रतियोगिता भावना का विकास होता है, जिससे आगे बढऩे की सोच में भी विकास होता है।
टीवी और मोबाइल से दूरी बढ़ती है:
अगर बच्चे खेलने के लिए नियमित बाहर जाते हैं तो उतना समय टीवी, मोबाइल से दूर रहते हैं जो उनकी आंखों और दिमाग दोनों के लिए बेहतर है। आजकल बच्चे बचपन से ही टीवी,मोबाइल कंप्यूटर से जुड़े रहते हैं। अगर आप बच्चों को इनसे दूर रखना चाहते हैं तो खेलने के लिए प्रोत्साहन करें।
बच्चों में स्फूर्ति बनी रहती है:
बच्चों को स्फूर्तिवान बनाने में खेल का अहम रोल होता है। अगर आपके बच्चे सुस्त हैं तो उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से वे तरोताजा बने रहें। कभी कभी बच्चे बचपन से किसी विशेष खेल में रूचि दिखाते हैं और उन्हें अवसर मिलता है तो कई बार वे बड़े होकर अच्छे खिलाड़ी सिद्ध होते हैं। माता पिता को चाहिए कि अपने बच्चों के शौक को पहचानें और उत्साहित कर उन्हें अवसर दें ताकि वह आने शौक को आगे बढ़ा सके और योग्य खिलाड़ी सिद्ध हो सकें।
 

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