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‘डिजिटल सुरक्षा अधिनियम से बांग्लादेशी पत्रकारों को कठोर सेंसरशिप का सामना करना पड़ेगा  देश में अंदर तानाशाही का दबदवा बढ़ेगा 

‘डिजिटल सुरक्षा अधिनियम से बांग्लादेशी पत्रकारों को कठोर सेंसरशिप का सामना करना पड़ेगा  देश में अंदर तानाशाही का दबदवा बढ़ेगा 

ब्रिस्बेन । डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के कारण पहले से ही परेशानी उठा रहे बांग्लादेशी पत्रकारों को एक नए कानून के अस्तित्व में आने पर और भी कठोर सेंसरशिप का सामना करना पड़ सकता है। स्वतंत्र पत्रकार ने खुफिया एजेंसियों द्वारा खुद को देश छोड़ने के लिए मजबूर करने के बाद हाल ही में ट्वीट किया था, खुफिया एजेंसियों ने मुझे मेरी पत्रकारिता के चलते हिरासत में लिया, पूछताछ की और फिर निर्वासित कर दिया। मानवाधिकार कार्यकर्ता बांग्लादेशी सरकार द्वारा मीडिया और अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के लिए विवादास्पद ‘डिजिटल सुरक्षा अधिनियम’ के इस्तेमाल के खिलाफ लंबे समय से लामबंद हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ है।
बांग्लादेश वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में लगातार नीचे आ रहा है। पत्रकारों, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, कार्टूनिस्ट और फोटोग्राफर को सोशल मीडिया पर सरकार और राष्ट्र के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने’ के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
गौरतलब है कि बड़ी संख्या में गिरफ्तार लोगों में ज्यादातर पत्रकार शामिल हैं, जबकि उन पर आरोप लगाने वाले करीब 80 फीसदी लोग सत्तारूढ़ बांग्लादेश अवामी लीग से जुड़े हुए हैं। नया मसौदा कानून कठोर डिजिटल सुरक्षा अधिनियम से एक हाथ आगे साबित हो सकता है। यह बांग्लादेश को प्रभावी रूप से एक निगरानी राष्ट्र में बदल सकता है। टेक कंपनियों को विनियमित करने की आड़ में यह कानून सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म द्वारा दी जाने वाली एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड सेवाओं की ट्रेसिबिलिटी (स्रोत की पहचान करना) और इंटरसेप्शन (सेवा को बाधित करना) को बढ़ावा देगा। सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया सेवाओं सहित सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म सख्त सरकारी निगरानी के दायरे में आ जाएंगे। असहमति जताने की आखिरी जगह, अभिव्यक्ति की आजादी और स्वतंत्र पत्रकारिता का अधिकार छीन जाएगा। 
नियम-कायदे बेहद वृहद और जटिल हैं। ये अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी और सोशल मीडिया को विनियमित कर सत्ता में बने रहने की कोशिशों के बीच अस्तित्व में आए हैं। बांग्लादेश में हाल के वर्षों में मीडिया उद्योग के दायरे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, अधिकांश मीडिया संस्थान मौजूदा शासन द्वारा समर्थित हैं, जो सत्ता पक्ष और मीडिया घरानों के बीच एक भ्रष्ट गठजोड़ को दर्शाता है। प्रेस की स्वतंत्रता और साइबर स्पेस की सीमाएं शासन द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जिसमें पक्षपातपूर्ण लाइसेंसिंग, राजस्व नियंत्रण और यहां तक कि दमनकारी नियंत्रण सहित कई रणनीतियां शामिल हैं। सरकार राज्य तंत्र का इस्तेमाल कर ‘अदृश्य भय’ भी पैदा करती है। दमनकारी नियामक ढांचे के अलावा मीडिया उद्योग में राजनेताओं के बढ़ते दखल ने एक ऐसी मीडिया नीति को आकार दिया है, जो बांग्लादेश में सूचना के मुक्त प्रवाह और प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करती है। 
 

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