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साक्षात्कार में भ्रामक जवाब न दें 

साक्षात्कार में भ्रामक जवाब न दें 

सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में साक्षात्कार बेहद कठिन माना जाता है और इसकी तैयारी करते समय पूरी तरह गंभीर होना जरुरी है। साक्षात्कार द्वारा प्रतियोगी की आवेदित पद हेतु क्षमता का सही-सही आंकलन किया जाता है। यह आकलन संबंधित विषयों के विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, इसलिए प्रत्याशियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सतही ज्ञान के बल पर भ्रामक उत्तर न दें। बेहतर तो यही होगा कि राज्य सेवा के अंतर्गत उपलब्ध पदों के लिए आवेदन करते समय ही उन पदों की प्रकृति तथा आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त कर उसकी पूर्ति हेतु सभी संभावित क्षेत्रों का ज्ञान अर्जित करें।
अकसर देखा गया है कि साक्षात्कार के दौरान प्रत्याशी से पहला सवाल यही किया जाता है कि उसने सिविल सेवा का क्षेत्र ही क्यों चुना या आवेदित पद के लिए ही वह क्यों आवेदन कर रहा है।
प्रत्याशियों के पास इसका सौद्देश्यपूर्ण जवाब होना चाहिए। महज देशसेवा, समाजसेवा जैसे उत्तर पर्याप्त नहीं होते हैं। जब तक प्रत्याशियों को इस बात का ज्ञान न हो कि साक्षात्कार में किस तरह के प्रश्न पूछे जाएँगे या क्या किया जाएगा तब तक वे इसकी पूर्णरूपेण तैयारी भी नहीं कर पाएँगे। आमतौर पर सिविल सेवा परीक्षा का साक्षात्कार विश्वविद्यालयीन प्रायोगिक परीक्षाओं की मौखिक परीक्षाओं (वाइवा) जैसा नहीं होता है और न ही अन्य नौकरियों के लिए लिए जाने वाले साक्षात्कार की तरह प्रत्याशियों की खिंचाई वाला होता है।
इसके बोर्ड में बैठने वाले सभी सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ होने के साथ ही साक्षात्कार लेने के प्रति अत्यंत गंभीर होते हैं। वे प्रत्याशियों को परेशान कर उलझाने के स्वाभाविक तरीके से बातचीत के लहजे में साक्षात्कार लेते हैं। उनका उद्देश्य प्रत्याशियों की प्रतिक्रया, व्यवहार, आत्वविश्वास, दृढ़ निश्चयता, सकारात्मकता, नकारात्मकता, अभिरुचि, निर्णय लेने की क्षमता, उसकी पृष्ठभूमि आदि का आकलन होता है। वे टालमटोल कर भ्रामक जवाब के बजाय ईमानदारीपूर्वक प्रत्याशियों द्वारा प्रश्न के उत्तर न जानने के जवाब को ज्यादा तरजीह देते हैं, क्योंकि उन्हें भी पता होता है कि कोई भी व्यक्ति सर्वज्ञाता नहीं होता है।
साक्षात्कार के दौरान उत्तर देते समय आत्मविश्वास तथा निश्चित दृष्टिकोण सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। यदि प्रश्न का विश्लेषण कर तर्कपूर्ण जवाब दिए जाएँ तो साक्षात्कार लेने वाला निश्चित ही प्रभावित होता है। हाँ, इसके लिए ज्यादा ज्ञान बघारने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आपके ज्ञान के प्रमाण स्वरूप मुख्य परीक्षा के प्राप्तांकों की सूची उनके पास पहले ही उपलब्ध होती है। साक्षात्कार में बड़बोलेपन की बजाय मितभाषी प्रत्याशी के चयन की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि वह साक्षात्कार हेतु निर्धारित 15-20 मिनट में साक्षात्कार लेने वालों के ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों के जवाब देकर उन्हें संतुष्ट कर सकता है।
साक्षात्कार के समय केवल विषयगत ज्ञान की जानकारी नहीं ली जाती। अपने प्रदेश, उसके राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक स्थिति की जानकारी ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए तथा समसामयिक विषयों की जानकारी के साथ-साथ समस्याओं के समाधान की भी जानकारी यथेष्ठ मानी जाती है। साक्षात्कार के लिए बौद्धिक ज्ञान जितना आवश्यक है, उतना ही व्यावहारिक ज्ञान भी जरूरी है, क्योंकि सिविल सेवा से जुड़े सभी पद लोकहित तथा जनसंपर्क के अंतर्गत आते हैं।
लिहाजा इन पदों के प्रत्याशियों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनका दृष्टिकोण लोकहित तथा कल्याणकारी भावनाओं के अनुरूप हो। बुद्धिमत्ता, व्यवहार के अलावा प्रत्याशी के हावभाव, वेशभूषा तथा प्रतिक्रिया का भी साक्षात्कार में आकलन किया जाता है। आकर्षक व्यक्तित्व तथा सौम्य व्यवहार साक्षात्कार में सफलता की कुंजी माने जाते हैं।
 

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