YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

वर्ल्ड

मां के स्तन से नहीं निकल रहा दूध, अमेरिका में फॉर्मूला दूध को भी तरस रहे शिशु

मां के स्तन से नहीं निकल रहा दूध, अमेरिका में फॉर्मूला दूध को भी तरस रहे शिशु

नई दिल्ली । महाशक्ति अमेरिका में शिशुओं को मां का दूध नहीं मिल पा रहा है। एक साल से कम उम्र के बच्चे को फॉर्मूला मिल्‍क (दूध) पिलाया जाता है। जब किसी समस्‍या की वजह से मां की स्तन में दूध नहीं बन पाता या मां स्‍तनपान नहीं करवा पाती है, तो शिशु को फॉर्मूला मिल्‍क पिलाया जाता है। लेकिन अमेरिका में इसकी भारी कमी हो गई है। कई बड़ी कंपनियों ने इसकी बिक्री सीमित कर दी है। इसमें सीवीएस और वॉलग्रीन जैसी बड़ी फार्मेसी भी शामिल हैं। हाल के दिनों में इन कंपनियों ने फॉर्मूला मिल्‍क कैन खरीदने के सीमा तय कर दी है। यानी कस्टमर तय सीमा से ज्यादा कैन नहीं खरीद सकते हैं।
टॉप ब्रांड सिमलिक बनाने वाली कंपनी एबॉट ने फरवरी में अपने फॉर्मूला मिल्क प्रोडक्ट्स को वापस बुला लिया है। इसमें बैक्टीरिया मिलने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया था। साथ ही इसे बनाने वाली फैक्ट्री को भी बंद कर दिया गया था। इससे देश में फॉर्मूला मिल्क का संकट बढ़ गया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन सरकार पर जल्दी से जल्दी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दबाव बढ़ रहा है। कई रिपब्लिकन सांसदों ने इसे राष्ट्रीय संकट बताते हुए सरकार से इस पर ध्यान देने की अपील की है। डेमोक्रेटिक रिप्रजेंटेटिव रोसा डीलॉरो ने भी इस मुद्दे पर फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन के सुस्त रवैये की आलोचना की है। कई प्रांत गरीब महिलाओं और बच्चों को बेबी फॉर्मूला देने के प्रोग्राम चला रहे हैं और एबॉट इसमें मुख्य सप्लायर है। कंपनी का कहना है कि वह मिशिगन में बंद पड़ी अपनी फैक्ट्री को फिर से चालू कराने के लिए रेग्युलेटर्स के साथ काम कर रही है। साथ ही आयरलैंड में कंपनी के प्लांट से अतिरिक्त खेप मंगाई जा रही है।
कंपनी का फॉर्मूला मिल्क लेने के बाद चार बच्चों के बीमार होने की खबर आई थी। इनमें से दो बच्चों की मौत हो गई थी। अभी इस मामले की जांच चल रही है। द सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रोटेक्शन का कहना है कि फैक्ट्री में पाए गए बैक्टीरिया और बीमार बच्चों में मिले बैक्टीरिया मैच नहीं करते हैं। एफडीए ने साफ-सफाई को लेकर कंपनी की आलोचना की है।
हालांकि अमेरिका के 11,000 स्टोर्स पर नजर रखने वाली रिसर्च फर्म डाटासिमबिली के मुताबिक देश में फॉर्मूला मिल्क की कमी पिछले साल से हो होने लगी थी। सप्लाई चेन की बाधा और दूसरे कई कारणों से ऐसा हुआ। पिछले महीने स्थिति और विकराल हो गई जब लोगों ने इसे स्टॉक करना शुरू कर दिया था। 24 अप्रैल को एवरेज आउट ऑफ स्टॉक रेट उछलकर 40 फीसदी पहुंच गया जो कुछ हफ्ते पहले 30 फीसदी था। नवंबर में यह 11 फीसदी था। देश के 26 प्रांतों में आउट ऑफ स्टॉक रेट 40 फीसदी से अधिक है जबकि तीन हफ्ते पहले यह संख्या सात थी। देश की बड़ी फार्मेसी चेन वॉलग्रीन्स ने एक बयान में कहा कि बढ़ती मांग और सप्लायर की कई चुनौतियों के कारण देशभर में बेबी फॉर्मूला पर काफी दबाव है। हम ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए अपने सप्लायर पार्टनर्स के साथ दिनरात काम पर जुटे हैं। वॉलग्रीन्स के स्टोर्स पर केवल तीन कैन फॉर्मूला मिल्क खरीदा जा सकता है। कई दूसरे रिटेलर्स ने भी यह लिमिट लगाई है। 12.4 औंस कैन से केवल 15 बोतल बेबी मिल्क बनाया जा सकता है। रूटगरर्स बिजनेस स्कूल के जानकार रुडी लॉचर ने कहा कि लोगों ने पैनिक बाइंग की जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। फॉर्मूला मिल्क को ब्रेस्ट मिल्क विकल्प माना जाता है। इसमें बच्चों की स्वास्थ्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विटामिन, फैट, शुगर और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को मिलाया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मां के स्तनों से पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पाता है या किसी बीमारी के कारण जानवर के दूध का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता हो।
 

Related Posts