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आ‎र्थिक संकट से जूझ रहे हैं देश के ‎‎विश्व‎विद्यालय - ‎निजी क्षेत्रों को सौंपने की तैयारी!

आ‎र्थिक संकट से जूझ रहे हैं देश के ‎‎विश्व‎विद्यालय - ‎निजी क्षेत्रों को सौंपने की तैयारी!

नई ‎‎दिल्ली । देश के कई ‎‎विश्व‎विद्यालय गंभीर आ‎र्थिक संकट से जूझ रहे हैं। दर्जनों ‎‎‎विश्व‎विद्यवियों में फेकल्टी को प्र‎तिमाह समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है। ‎वित्तीय संकट के कारण ‎‎विश्व‎विद्यालयों में परीक्षायें और प‎रिणाम भी समय पर नहीं हो पा रहे हैं। बुनयादी एवं ‎निय‎मित आवश्यक खर्च के ‎लिए रा‎शि उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
केन्द्र सरकार द्वारा 2021-22 का उच्च ‎शिक्षा अनुदान काफी घटा ‎दिया गया है। ‎‎‎विश्व‎विद्यालयों से कहा जा रहा है ‎कि वह अपने खर्च के ‎लिए स्वयं ‎वित्तीय ‎‎निर्णय लें। जरुरत होने पर ‎‎‎विश्व‎विद्यालयों से ऋण लेकर कार्य करने को कहा जा रहा है।
श्री लालबहादुर राष्ट्रीय संस्कृत ‎‎‎विश्व‎विद्यालय, ‎दिल्ली ‎‎‎विश्व‎विद्यालय, ‎विश्व भारती, नगालेंड ‎‎‎विश्व‎विद्यालय, झारखंड ‎‎‎विश्व‎विद्यालय एवं द‎क्षिण ‎बिहार के कई ‎‎‎विश्व‎विद्यालय भारी आ‎र्थिक संकट से जूझ रहे हैं। मद्रास ‎‎‎विश्व‎विद्यालय 100 करोड़ के ‎वित्तीय घाटे में पहुंच गया है। राज्य सरकार ने 88 करोड़ की मदद जरुर की है। इसके बाद भी आ‎र्थिक घाटा बना हुआ है।
राष्ट्रीय ‎शिक्षा नी‎ति 2020 में ‎‎‎‎विश्व‎विद्यालयोवि को आ‎र्थिक स्वालंबन सामा‎जिक, नै‎तिक और भावात्मक क्षमताओं को बढ़ावा देने की ‎जिम्मेदारी ‎‎‎विश्व‎विद्यालयों की है। 2016-17 42.07 करोड़ की तुलना में अनुसंधान प‎रियोजनाओं का आवंटन में मात्र 38 लाख रुपया आवं‎टित हुआ है। देश के 1043 ‎‎‎विश्व‎विद्यालय हैं, ले‎किन शोध का कार्य लगभग 3 फीसदी ‎‎‎विश्व‎विद्यालयों में होता हे। आ‎र्थिक संकट के कारण शोध का कार्य लगभग बंद हो गया है।
आ‎र्थिक संकट से जूझ रहे ‎‎‎‎विश्व‎विद्यालयोविको कर्ज के जाल में फंसाकर एवं स्वायत्ता के नाम पर ‎‎‎विश्व‎विद्यालयों को भी ‎निजी क्षेत्र में सौंपने की तैयारी के रुप में भी देखा जा रहा है।
 

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