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शनि बना सकते हैं धनी  

शनि बना सकते हैं धनी  

शनि को न्याय के देवता के तौर पर जाना जाता है क्योंकि वह इंसान के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। ऐसे में इंसान को दरिद्र या धनवान बनाना शनि देव के ही हाथ में है। अगर आप कुछ विशेष कर्मों पर ध्यान दें तो शनि स्वयं आपको धनी बना देंगे। आइए जानते हैं कि आखिर धन योग से शनि का क्या संबंध है।
शनि का धन से सम्बन्ध-
शनि जीवन में हर प्रकार के शुभ-अशुभ कर्मों के कारक और फलदाता हैं। कर्मों के अनुसार आप धनवान होंगे या दरिद्र, ये  शनि देव ही तय करते हैं। शनि की विशेष स्थितियों से धन की प्राप्ति सरल हो सकती है और कठिन भी। शनि की महादशा उन्नीस वर्ष तक चलती है। नकारात्मक प्रभाव होने पर शनि लम्बे समय तक धन के लिए कष्ट देते हैं। अगर शनि नकारात्मक हो तो साढ़े साती या ढैया में घोर दरिद्रता आती हैं। कुंडली में बेहतर योग होने के बावजूद अगर कर्म शुभ न हों तो शनि धन की खूब हानि करवाते हैं।
कुंडली में शनि की स्थिति से ही धन की स्थिति तय होती है। कभी शनि विशेष धन लाभ करवाते हैं तो कभी बेवजह पैसों का नुकसान भी करवाते हैं। इसलिए आर्थिक मजबूती के लिए कर्मों के साथ-साथ कुंडली में शनि की स्थिति पर भी ध्यान देना जरूरी है। तो आइए जानते हैं कि शनि कब पैसों का नुकसान करवाते हैं।
शनि कराते हैं धन हानि-
शनि कुंडली के अशुभ भावों में हो तो धन हानि करवाते हैं।
शनि नीच राशि में हों या सूर्य के साथ हों तो भी धन हानि होती है। शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही हो तब धन हानि होती है अगर बिना सलाह के नीलम रत्न धारण करने धन हानि होती है। इंसान का आचरण शुद्ध ना हो,बुजुर्गों का अनादर करता हो तब धन हानि होती है। 
शनि कब बनाएंगे धनवान
शनि अनुकूल हों,तीसरे, छठे या एकादश भाव में हों तो धनी बनाते हैं। शनि उच्च के हों या अपने घर में हो तो धन लाभ देते हैं। शनि की महादशा, साढ़ेसाती, ढैया चल रही हो तो धन लाभ होता है। व्यक्ति का आचरण शुद्ध हो,आहार सात्विक हो धन लाभ कराते हैं। माता-पिता और बड़ों का आशीर्वाद हो तो धन लाभ होता है। व्यक्ति शिव जी,कृष्ण जी का भक्त हो तो शनि धन लाभ कराते हैं।
कैसे मनाएं शनि को
शनिवार को पहले पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
इसके बाद पीपल की कम से कम तीन बार परिक्रमा करें। 
परिक्रमा के बाद शनिदेव के तांत्रिक मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
मंत्र होगा - "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"।
फिर किसी निर्धन व्यक्ति को सिक्कों का दान करें।
 

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