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नींबू और पपीता बढ़ाते हैं खून में ऑक्सीजन 

नींबू और पपीता बढ़ाते हैं खून में ऑक्सीजन 

ऑक्सीजन हमारी जिंदगी का आधार है। शरीर के सभी अंगों को ठीक से काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। शरीर में यह ऑक्सीजन खून के माध्यम से सभी अंगों तक पहुंचता है। इसलिए खून में अगर ऑक्सीजन की कमी होती है तो इससे शरीर के विभिन्न अंगों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने आहार में ऐसे फलों को शामिल करें जो खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। 
नींबू और पपीता ऐसे फल हैं जो हमारी किडनी को साफ रखने में मदद करते हैं। विटामिन से भरपूर ये फल हमारे खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने में भी सहयक होते हैं। तरबूज में भारी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा इसमें लाइकोपेन, बीटा केरोटिन और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन शरीर में जल की मात्रा को भी संतुलित रखता है।
अंकुरित अनाज फाइबर के भरपूर स्रोत होते हैं। ये रक्त में ऑक्सीजन बढ़ाने के बेहतर विकल्पों के तौर पर भी इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके साथ ही साथ एवोकैडो. किशमिश, खजूर अदरक और गाजर भी शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए सबसे उपयुक्त उपचार हैं। इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
ऑर्गेनिक जिलैटिन में कैल्शियम और आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है। यह शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने का सबसे बेहतरीन उपाय होता है। शतावरी, जलकुम्भी और समुद्री शैवाल भी खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में काफी मददगार होता है।
इन खाद्यों का सेवन शरीर में रक्त के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति निश्चित करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 90 प्रतिशत से कम होने पर यह अंगों पर बुरा प्रभाव डालना शुरू कर देता है। इसकी पूर्ति के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन बेहद जरूरी है।
पेटदर्द की अनदेखी हो सकती है जानलेवा (23एफटी05एचओ)
अगर आपको बार-बार पेटदर्द की शिकायत हो रही है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पेटदर्द की अनदेखी भारी पड़ सकती है क्योंकि यह कई बार गंभीर बीमारियों के संकेत देती है। इसलिए कभी भी पेटदर्द और अपच को आप अनदेखा न करें। गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर में भी सामान्य तौर पर पेट दर्द की ही शिकायत होती है। देश में इस रोग के पीड़ितों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। क्या है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर
दरअसल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पेट की आंतों का या फिर कहें, पेट का कैंसर होता है। जो धीरे-धीर बढ़ता जाता है और शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देता है। यह कैंसर शरीर के अंदर आंतों, गुर्दे, पित्ताशय, पैनक्रियाज और पाचन ग्रंथि को चपेट में लेने लगता है और इन्हें निष्क्रिय बना देता है। इसलिए बार-बार पेट दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए।
इस प्रकार करें बचाव 
विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी कैंसर से बचाव का सबसे सही उपाय है अपनी डाइट में सुधार और जरूरी बदलाव करना। साथ ही बढ़ते वजन पर नियंत्रण करने से भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से बचा जा सकता है। अगर पित्त की पथरी या कोई समस्या हो रही है तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें।
कोलनगियोस्कोपी है जरूरी
कोलनगियोस्कोपी की मदद से कैंसर को देखने और उनके ऊतकों का परीक्षण करने में मदद मिलती है। इससे पित्ताशय की थैली के कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है।
 

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