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विश्व दुग्ध दिवस   (१ जून) 

विश्व दुग्ध दिवस   (१ जून) 

दूध एक परिपूर्ण एवं संतुलित आहार हैं .इसकी उपयोगिता जन्म से शुरू होती हैं .पर वर्तमान में उत्पादन और खपत के अनुपात में बहुत अधिक अंतर होने से नकली दूध से जघन्य बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं .इस पर नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक हैं
संयुक्त राष्ट्र के खा द्य और कृषि संगठन ने साल 2001 में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में चुना था, इस दिन डेयरी क्षेत्र में स्थिरता, आर्थिक विकास, आजीविका और पोषण के बारे में लोगों को बताया जाता है। विश्व दुग्ध दिवस मनाने वाले देशों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है।:  
इस दिन की स्थापना 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी। इस वर्ष समारोह की शुरुआत 29 मई-31 को एन्जॉय डायरी रैली के साथ हुई, जिसका समापन मंगलवार (1 जून) को विश्व दुग्ध दिवस के साथ हुआ।
दूध में मूल्यवान पोषक तत्व होते हैं और यह कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसका सेवन न केवल बढ़ते बच्चे बल्कि सभी आयु वर्ग के लोग भी करते हैं। यह हमारे दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका बहुत पौष्टिक मूल्य है और कैल्शियम, प्रोटीन और वसा आदि का एक समृद्ध स्रोत है। मुख्य रूप से हमें गायों, भैंसों और भेड़, बकरियों और ऊंटों जैसे अन्य जानवरों से दूध मिलता है।
हमारे आहार में दूध के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। बाजार में कई तरह के दूध मिलते  हैं लेकिन कौन सा दूध सेहत के लिए अच्छा होता है? क्या आपको इस बारे में पता है?
विश्व दुग्ध दिवस  का विषय पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-अर्थशास्त्र के संदेशों के साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर केंद्रित हैं
2020 का व्यापक विषय "विश्व दुग्ध दिवस की 20 वीं वर्षगांठ" था। यह दिन स्वास्थ्य और पोषण, प्रभावशीलता और प्राप्यता, और क्षेत्रों के जुनून और हमारे समुदायों को खिलाने की प्रतिबद्धता से संबंधित डेयरी उत्पादों के लाभों को प्रोत्साहित करता है।
हम सभी जानते हैं कि भारत में ग्रामीण या कृषि क्षेत्रों के परिवार दूध और दुग्ध उत्पादों का विभिन्न रूपों जैसे ताजा दूध, घी, छाछ, दही, मिठाई आदि का सेवन करते हैं। वे दूध को बड़े बर्तन में उबालकर उसका सेवन करते हैं। इसके अलावा, कुछ परिवारों में अपने मेहमानों को बड़े गिलास में लस्सी परोसने की परंपरा है।
इतिहास
विश्व दुग्ध दिवस पहली बार 2001 में पूरे विश्व में मनाया गया था और कई देशों ने इस आयोजन में भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने 2001 में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में चुना, जो स्थिरता, आर्थिक विकास, आजीविका और पोषण में डेयरी क्षेत्र के योगदान का जश्न मनाता है। वास्तव में, भागीदारी के लिए देशों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस दिन से संबंधित कई गतिविधियों का आयोजन किया गया है। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, विश्व दुग्ध दिवस दूध के पोषक मूल्य और इसे आहार में शामिल करने की आवश्यकता के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
उद्देश्य
- मनुष्य के जीवन में दूध की आवश्यकता और महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करना।
- दूध और दूध उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
- कई उद्योगों, अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में दूध और डेयरी उत्पादों के योगदान का जश्न मनाने के लिए।
- दूध में मौजूद पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन बी2 , पोटेशियम आदि के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
- जनता द्वारा विभिन्न प्रचार गतिविधियाँ की जाती हैं।
महत्व
विश्व दुग्ध दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों को एक व्यक्ति के जीवन में दूध के महत्व के बारे में जागरूक करना है। यह पहला भोजन है जो बच्चा जन्म के बाद खाता है और शायद जीवन भर सेवन किया जाने वाला भोजन है। वास्तव में, यह किसी भी जीवित प्राणी के लिए पहला भोजन है जिसने दुनिया में जन्म लिया और खिलाया गया। तो, यह बहुत महत्वपूर्ण है। मानव शरीर के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व दूध में मौजूद होते हैं। डेयरी क्षेत्र स्थिरता, आर्थिक विकास , पोषण और आजीविका में योगदान देता है। क्या आप जानते हैं कि डेयरी क्षेत्र दुनिया भर में एक अरब लोगों की आजीविका का समर्थन करता है?
इसलिए, विश्व दुग्ध दिवस विभिन्न देशों द्वारा मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है जो लोगों को दूध के सेवन के महत्व के बारे में शिक्षित करता है। दूध में विभिन्न पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और हमें ऊर्जा प्रदान करता है। यह याददाश्त में सुधार के लिए भी अच्छा है।
गाय के दूध में प्रति ग्राम ३.१४ मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है।
गाय का दूध  पतला होता हे जो शरीर मे आसानी से पच जाता । जो लोग कम खाया करते हे उनकेे लिए गााय का दूध बढ़िया  रहता है।
दूध एक पूर्ण, स्वच्छ, स्तन ग्रन्थियों का झारण है। पौष्टिकता की दृष्टि से दूध एक मात्र सम्पूर्ण आहार है जो हमको प्रकृति की देन है। हमारे शरीर को लगभग तीस से अधिक तत्वों की आवश्यकता होती है। कोई भी अकेला पेय या ठोस भोज्य पदार्थ प्रकृति में उपलब्ध नहीं है जिससे इन सबको प्राप्त किया जा सके। परन्तु दूध से लगभग सभी पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए सन्तुलित व पूर्ण भोजन का स्तर दिया गया है। दूध में मौजूद संघटक हैं पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसाविहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है, घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5%, बकरी में 86.9% होता है।
(लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
 

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