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आरोग्य

धनिया के फायदे और नुकसान   (सामान्य पर अतिगुणकारी ) 

धनिया के फायदे और नुकसान   (सामान्य पर अतिगुणकारी ) 

हम सभी लोग धनिया) का सेवन करते ही हैं , क्योंकि धनिया की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है, और सभी को पसंद आती है। आमतौर पर लोग धनिया के पत्ते की चटनी, या इसके बीज को मसाले के रूप में प्रयोग में लाते हैं, क्योंकि अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं है कि आहार के अलावा भी धनिया के इस्तेमाल के फायदे मिलते हैं। क्या आप जानते हैं कि धनिया को औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है, और इससे कई रोगों की रोकथाम, या इलाज किया जाता है।
धनिया एक मसाला होने के साथ-साथ एक औधषि भी है। सम्पूर्ण भारत में हर घर में धनिए के सूखे फलों का प्रयोग मसाले के तौर पर किया जाता है। धनिया का इस्तेमाल कर भोजन से अरुचि, पाचनतंत्र रोग, मूत्र विकार के साथ-साथ, वात-पित्त-कफज विकार में भी लाभ लिया जा सकता है। गीला धनिया विशेषतः पित्तशामक होता है।
धनिया का वानस्पतिक नाम  कोरिएण्ड्रम सैटाइवम है, और यह एपिएसी कुल से है।
हिंदी में  – धनियां
संस्कृत   में – धान्यक, धाना, कुस्तुम्बुरु, वितुन्नक, छत्रा, धान्यक, धान्या, धानी, धानेयक, छत्रधन्य, धन्याक, धनिक, धनेयक, धनक, धान्यबीज, धेन्निका, जनप्रिय, शाकयोग्य, सुगन्धि, सूक्ष्मपत्र, वेधक, वेषण, बीजधान्य
इंग्लिश में  – चाइनीज पार्सले, कोरिएन्डर  
धान्यतुम्बरु रोचनं  दीपनं वातकफदायगरणध्यानाशनम .(च .सूत्र २७ )
प्रातः सशरकरःपेयों हिमो धान्यक सम्भवः ,अन्तर्दाहं तथा तृष्णा जयेत स्त्रोतोविशोधनः.(भाव प्रकाश )
गुण   --लघु स्निग्ध  रस --कषाय ,तिक्त,मधुर कटु ,विपाक --मधुर ,वीर्य --उष्ण
धनिया का आवश्यक तेल जीवाणुरोधी, एंटिफंगल, एंटीऑक्सिडेंट, कीटनाशक जैसी जैविक गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करने के लिए जाना जाता है और इसके अलावा यह औषधीय गतिविधियों जैसे कि विरोधी भड़काऊ, चिंताजनक, रोगाणुरोधी, मूत्रवर्धक, अनुभूति सुधार, एंटीडायबिटिक, एंटीसेप्टिक, एंटीहाइपरटेन्सिव, लिपोलाइटिक, मायोरेलेक्सेंट, एंटीकैंसरस, एंटीमुटाजेनिक और फ्री रेडिकल मैला ढोने की गतिविधियाँ।
अत्यधिक प्यास लगने पर
अधिक प्यास लगती है, तो धनिया के पानी में , और मिश्री मिलाकर पीने से पित्त के कारण लगने वाली प्यास मिटती है।
इसी तरह, 175 ग्राम धनिया के पेस्ट को, 1 लीटर पानी में मिला लें। इसे रात भर छोड़ कर सुबह छान लें। इसमें 100 ग्राम मिश्री, तथा 100 ग्राम गुड़ मिला लें। इसे 10-15 मिली की मात्रा में पीने से लाभ होता है। हरा धनिया के फायदे इस बीमारी में  बहुत काम आता है।
इसके अलावा, 10-20 मिली धनिए के काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से प्यास, और जलन शांत होती है।
बराबर-बराबर मात्रा में धनिया  आंवला, वासा, मुनक्का तथा पित्तपापड़ा लें। इनका चूर्ण बना लें। 25 ग्राम चूर्ण को 200 मिली पानी में रात भर भिगो दें। इसे सुबह-शाम छानकर, मिश्री मिला लें। इसे पीने से प्यास मिटती है, और मुंह के सूखने की परेशानी में लाभ होता है।
बच्चों की खांसी में
बच्चों को खांसी होने पर चावलों के पानी में, 10-20 ग्राम धनिया को घोंट लें। इसमें चीनी मिलाकर सुबह, दोपहर, तथा शाम को पिलाना है। इससे बच्चों की खांसी, और दमे में लाभ होता है।
खांसी से आराम पाने के लिए
अदरक का रस 10 मिली, गुड़ 10 ग्राम, धनिया 5 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम लें। इनके साथ ही, काला जीरा 5 ग्राम, दालचीनी 5 ग्राम, इलायची, तथा मोथा 5-5 ग्राम लें। इनका गाढ़ा काढ़ा बना लें। काढ़ा की 2-4 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे खांसी, बुखार, बवासीर, टीबी आदि बीमारी में लाभ होता है।
भूख बढ़ाने के लिए
रात भर पानी से भिगोए हुए धनिया के बीजों को, छिलका रहित होने तक अच्छी तरह धो लें। इन बीजों को सुखाकर, भून लें। इसमें मरिच, हल्दी, सेंधा नमक, तथा नींबू के रस को मिला लें। इसे थोड़ी मात्रा में लेकर चबाने से भूख बढ़ती है।
धनिया से बने काढ़ा का सेवन करने से आंतों के रोग में लाभ मिलता है। धनिया के सूखे फलों से बने काढ़ा का सेवन करने से पित्तज-विकार, कंठ की जलन, उल्टी में लाभ मिलता है।
पाचन-शक्ति बढ़ाने
धनिया से बने काढ़ा में दूध, एवं चीनी मिला लें। इसे पीने से पाचनतंत्र के विकार में फायदा होता है।
धनिया, लौंग, सोंठ, तथा निशोथ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे गर्म पानी के साथ 2-2 ग्राम, सुबह-शाम सेवन करें। इससे पाचन-शक्ति ठीक रहती है।
धनिया, तथा सोंठ से बने 20 मिली काढ़ा में एरंड मूल का चूर्ण (1 ग्राम) मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भोजन ठीक से पचता है।
बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, और सोंठ का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पीने से पाचन-शक्ति बढ़ जाती है.
पेट की गैस में
पेट में गैस होने पर 10-15 मिली धनिया तेल का सेवन करने से आराम मिलता है।
धनिया, और सोंठ का काढ़ा पीने से पेट दर्द, और अनपच ठीक होती है।
पेट दर्द में
पेट दर्द में 2 ग्राम धनिया चूर्ण को, 5 ग्राम मिश्री के साथ मिला लें। इसे दिन में दो-तीन बार देने से गर्मी से होने वाले पेट दर्द में लाभ होता है।
5 ग्राम धनिया को 100 मिली पानी में रात में भिगो लें। इसे सुबह मसलकर, छानकर रखें। इस पानी को बच्चों को पिलाने से पेट दर्द में लाभ होता है।
10-20 मिली धनिया का जूस  को 10 मिली सिरके में मिलाकर लगाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
कब्ज में फायदा
कब्ज में फायदे के लिए, 20 ग्राम धनिया, तथा 120 मिली पानी को मिट्टी के बरतन में डालकर, रात भर रहने दें। सुबह इसे छानकर, 13 ग्राम खांड डाल लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
आंखों से पानी बहने पर
20 ग्राम धनिया को कूटकर, एक गिलास पानी में उबाल लें। इस पानी को कपड़े से छान लें। इसे एक-एक बूंद आंखों में डालने से आंख के रोग जैसे- आंखोंं में होने वाली दर्द, आंखों से पानी बहने की परेशानी में फायदा होता है।
आंखों के दर्द में
धनिया का जूस को बकरी के दूध में मिला लें। इसे आंख में एक-एक बूंद डालने से, आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
धनिया बीज, और जौ को बराबर-बराबर लेकर पीस लें। इसका गाढ़ा लेप बना लें। इसे आंखों पर बांधने से आंख के दर्द ठीक हो जाते हैं।
धनिया के 20-25 ग्राम ताजे पत्तों को पीस लें। इसमें चने का आटा मिलाकर लेप करने से आंखों के दर्द ठीक होते हैं।
आंखों में जलन होने पर धनिया के पत्तों की चटनी बनाकर खाने से आराम मिलता है।
आंखों की सूजन में
20 ग्राम धनिया को 400 मिली पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई बचे, तो इससे आंखों को धोएं। इससे आंख की सूजन, और दर्द में फायदा होता है।
10-20 ग्राम धनिया, या इसकी 20-30 हरी पत्तियों को पीस लें। इससे चेहरे पर लगाने से आंखों के रोग में लाभ होता है।
नाक से खून बहने पर
धनिया के 20 ग्राम पत्तों को पीस लें। इसमें थोड़ा-सा कपूर मिला लें। इसे 1-2 बूंद नाक में डालने से, और सिर पर मलने से, नाक से खून बहना (नकसीर) बंद हो जाता है।
सांसों से बदबू (हैलिटोसिस) आने की समस्या में
सांसों की बदबू की परेशानी में 5-10 ग्राम धनिया को नियमित रूप से चबाएं। इससे सांसों से आने वाली बदबू मिटती है।
सिर दर्द से आराम पाने के लिए
बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, और आंवला को रात भर पानी में भिगोकर, सुबह पीसें, और छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से गर्मी से होने वाले सिर दर्द में आराम मिलता है।
धनिया का गाढ़ा काढ़ा बना लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में रोज सेवन करें। इससे सिर दर्द में आराम होता है।
धनिया के बीजों  को पीसकर सिर में लेप करने से लाभ होता है।
कंठ रोग में लाभ
कंठ के रोग में 10-20 ग्राम धनिया को पीसकर, जौ के सत्तू में मिलाकर कंठ पर लगाएं। इससे कंठ के रोग ठीक हो जाते हैं।
धनिया के 5-10 ग्राम बीजों को दिन में दो-तीन बार चबाने से कंठ का दर्द ठीक हो जाता है।
गंजेपन की समस्या में फायदा
गंजेपन की समस्या के इलाज के लिए धनिया के 100 ग्राम चूर्ण को, 100 मिली सिरका के साथ पीसकर, सिर पर लेप करें। इससे गंजेपन में लाभ होता है।
त्वचा रोग (पित्ती उछलना) में
त्वचा रोग, जैसे- शरीर में पित्ती उछलने पर, धनिया के पत्तों के रस को शहद के साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
उल्टी रोकने के लिए
धनिया को अनार आदि अम्ल द्रव्य, और नमक के साथ पीस लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर पर खाने से उल्टी रुक जाती है।
गर्भावस्था की उल्टी का इलाज
हरा धनिया के 30-40 मिली काढ़े में, 10 ग्राम मिश्री, और चावल का पानी 20 मिली मिला लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से गर्भवती महिलाओं को होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
धनिया, सोंठ, तथा नागरमोथा को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर, गर्भवती स्त्री को पिलाने से उल्टी ठीक हो जाती है। इससे अन्य लोगों को भी लाभ मिलता है।
उल्टी और दस्त में
दस्त में फायदे के लिए 10 ग्राम भुना हुआ धनिया खाएं। इससे दस्त में लाभ होता है।
इसी तरह, बराबर-बराबर मात्रा में धनिया, अतिविषा, कर्कटश्रृंगी, तथा गजपिप्पली से चूर्ण बना लें। इस चूर्म को 1/2-1 ग्राम मात्रा में लेकर, चासनी  मिलाकर सेवन करें। इससेबच्चों की उल्टी, और दस्त पर रोक लगती है।
धान्यपञ्चक (धनिया, सोंठ, नारगमोथा, सुगन्धवाला, बेल का गुदा) से बने काढ़ा का सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।
दस्त में जलन, तथा प्यास लगने पर धनिया, तथा सुगन्धबाला का काढ़ा बना लें। 20-40 मिली काढ़ा को ठंडे जल के साथ पीना चाहिए। प्यास के साथ-साथ दर्द अधिक हो, तो धनिया, तथा सोंठ का काढ़ा पीने से लाभहोता है।
पेचिश में फायदा
पेचिश में 20 ग्राम धनिया को एक गिलास पानी में भिगोकर पीस छान लें। इसे सुबह पिएं।
धान्यक आदि द्रव्यों से बने धान्यक चतुष्क काढ़ा (15-20 मिली) का सेवन करें। इससे पित्त विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।
मासिक धर्म विकार में लाभ
योनि से असामान्य रक्तस्राव हो रहा हो, तो 10-20 मिली धनिया काढ़ा को दिन में दो-तीन बार पिलाने से मेनोरेजिया में लाभ होता है।
मूत्र रोग में
मूत्र रोग में 10 ग्राम हरा धनिया, तथा 10 ग्राम गोक्षुर के फलों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई बचे तो 20-30 मिली काढ़ा में घी मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं। इससे मूत्र रोग में लाभ  होता है।
बवासीर में लाभ
बवासीर में लाभ के लिए 10-20 ग्राम धनिया के बीजों को, एक गिलास पानी, और 10 ग्राम मिश्री के साथ उबालकर पिलाएं। इससे बवासीर से बहने वाला खून रुक जाता है।
इसी तरह हरड़, गिलोय, तथा धनिया को समान मात्रा में लेकर चार गुने पानी में उबालें। जब यह एक चौथाई बच जाए, तो गुड़ डालकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
जोड़ों के दर्द में लाभ
जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो 6 ग्राम धनिया के चूर्ण में, 10 ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाएं। इससे जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।
बुखार में
पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में 10 ग्राम धनिया, और 10 ग्राम चावल को रात भर भिगो दें। इस काढ़ा को 30 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाने से बुखार में लाभ होता है। धनिया के औषधीय गुण बुखार के  लक्षणों से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है।
धनिया के उपयोगी भाग ---फल,पत्ते ,बीज,तेल,पञ्चाङ्ग
धनिया का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
फल का चूर्ण- 3-6 ग्राम
काढ़ा- 20-50 मिली
दर्पनाशक- इसके दर्प का नाश करने के लिए, शहद और दालचीनी का प्रयोग करते हैं।
धनिया से नुकसान
धनिया के पत्ते, और बीजों को अधिक मात्रा में सेवन करने से ये परेशानी  हो सकती हैंः-
कामशक्ति कम हो जाती है।
मासिक धर्म रुक सकता है।
दमे के रोगी को नुकसान पहुंच सकता है।
पेट की गैस की समस्या में धनिया डालकर पकाए हुए पानी का सेवन करना हितकर होता है।
विशिष्ठ योग ---धानयकादि हिम ,धान्यपंचक ,धान्याचतुष्क।
(लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
 

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