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जन औषधि केंद्रों ने मई में पहली बार 100 करोड़ से अधिक की बिक्री का आंकड़ा पार किया  

जन औषधि केंद्रों ने मई में पहली बार 100 करोड़ से अधिक की बिक्री का आंकड़ा पार किया  

नई दिल्ली  सस्ती मेडिसिन उपलब्ध कराने वाले जन औषधि केंद्रों ने मई में पहली बार 100 करोड़ से अधिक की बिक्री का आंकड़ा पार किया है। जन औषधि की दुकानों में 1,600 से अधिक जेनेरिक दवाइयां, 250 सर्जिकल डिवाइसेज़ समेत अन्य प्रोडक्ट बेचे जाते हैं। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के जरिए सस्ते दामों में जेनरिक दवाएं बेचती है। फिलहाल देश के 739 जिलों में 8,735 जन औषधि केंद्र हैं।
सरकार सस्ती कीमतों पर लोगों को क्वालिटी वाली दवाएं उपलब्ध कराने के लिए मार्च 2024 तक इनकी संख्या 10,000 तक बढ़ाना चाहती है। इन केंद्रों को फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) चलाता है। इन केंद्रों में दवाइयों, सर्जिकल डिवाइसों के अलावा न्यूट्रास्युटिकल्स, आयुष प्रोडक्ट्स और एक रुपये में बिकने वाली सुविधा सैनिटरी पैड आदि बेचे जाते हैं। केमिकल एंड फर्जिलाइजर मिनिस्ट्री के अंतर्गत ये केंद्र प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत संचालित होते हैं।
आम लोगों पर से दवाओं के खर्च का बोझ कम करने के लिए मोदी सरकार ने 2015 में इस प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग की थी। शुरुआती साल में पीएमबीआई ने सालाना 8 करोड़ रुपए की बिक्री दर्ज की थी। सरकार की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, जन औषधि केंद्रों ने पिछले महीने यानी मई में 100 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री दर्ज की है। वहीं, पिछले साल मई 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जन औषधि केंद्रों में कुल 83।77 करोड़ रुपए की बिक्री हुई थी।
सस्ते दामों पर ये जेनरिक दवाएं खरीदने से लोगों को करीब 600 करोड़ रुपए की बचत हुई है। सरकार ने कहा कि वह इस योजना के जरिए लोगों का दवाओं पर होने वाले खर्च को घटाने में सक्षम हुई है। सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत, देश के 406 जिलों के 3,579 ब्लॉक में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन भी मंगाए हैं। इससे देश के अधिकतम लोग सस्ती जेनरिक दवाएं खरीदने में सक्षम होंगे।
 

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