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मष्तिष्क क्रियाशील रखे ! 

मष्तिष्क क्रियाशील रखे ! 

वर्तमान में व्यक्ति बहुत व्यस्त हैं या बहुत व्यस्त हैं बिना काम के ! जी हाँ .नौकरी पेशा ,व्यापारी ,मजदुर ,कुशल कारीगर ,नेता ,अभिनेता ,अफसर ,बाबू ,फुर्सती भी के पास समय नहीं हैं .उससे कहों की मंदिर जाओं ,तोकहेगा समय नहीं हैं ,जुआ खेलने वाले से बोलो तो समय नहीं हैं .शराबी को समय नहीं हैं .भगवान् ने सबको चौबीस घंटे दिए हैं और सब अकेले हैं ! और सबके पास एक अमूल्य सुन्दर शरीर वो भी स्वस्थ्य दिया हैं पर हम मन से दुखी रहते हैं या दुखी स्वाभाव बना लिया हैं .नकारात्मक विचार पहले हमें आकर्षित करते हैं और हम जो अपने पास हैं उससे संतुष्ट न होकर जो नहीं हैं उसके प्रति चिंतित रहते हैं .इस उधेड़बुन के कारण हमने अपना मस्तिष्क नगर निगम का कचरा घर बना लिया हैं जिस कारण हममे उत्साह न होने से मन मस्तिष्क क्रियाशील रख पाते या होता हैं .इस पर विचार करना जरुरी हैं .इसके कारण हम मानसिक रुग्ण होते जा रहे हैं  
अगर किसी व्यक्ति को टेंशन है या वह दिमागी रूप से अस्वस्थ है तो इसका सीधा असर उसके काम और व्यवहार पर पड़ता है। पूरी तरह से फिट रहने के लिए आपके दिमाग में अलग-अलग तरह के विचार आने चाहिए। साथ ही आपका जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना भी जरूरी है। जिज्ञासु प्रवृत्ति वाले लोग हमेशा कुछ न कुछ क्रिएटिव करने के बारे में सोचते हैं। इस तरह की आदत स्वस्थ दिमाग का निर्माण करती है। आप अपने दिमाग को और ऐक्टिव रखने के लिए इन टिप्स को आजमा सकते हैं...
कई शोध इस बात को साबित कर चुके हैं कि दिमाग को स्वस्थ रखने में ब्रेन गेम्स अहम भूमिका निभाते हैं। गेम्स खेलने के दौरान दिमाग को चुनौती मिलती है। सुडोकू, शतरंज और रुबिक्स क्यूब जैसे तर्क शक्ति पर आधारित गेम्स, वर्ग पहेली और इलेक्ट्रॉनिक खेल दिमाग की तेजी से सोचने की गति और याद्दाश्त बढ़ाते हैं। साथ ही इनसे आपका मनोरंजन भी होता है। अगर आप इस तरह के गेम्स को रोज 15 से 20 मिनट देते हैं तो यह आपके दिमाग के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह एक तरह की ब्रेन एक्सर्साइज है।
रोज मेडिटेशन यानी चिंतन करने की आदत व्यक्ति को दिमागी रूप से स्वस्थ बनाती है। मेडिटेशन करने से आप दिमागी रूप से फिट रहने के साथ ही शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं। जिन लोगों को अनिंद्रा की परेशानी होती है, उनके लिए भी मेडिटेशन फायदेमंद साबित होता है।
दिमागी रूप से फिट रहने के लिए जरूरी है कि ऐसे आहार का सेवन करें जो शरीर के साथ ही दिमाग के लिए भी फायदेमंद साबित हो। आपको फैट से भरपूर भोजन करना चाहिए। विशेष तौर पर  ऑलिव ऑइल आपको दिमागी तौर पर फिट रखता है।
अपने अनुभवों को दोस्तों के साथ शेयर करें इससे आपकी याददाश्त मजबूत होती है। साथ ही कहानियां पढ़ने की आदत भी मानसिक रूप से फिट रखती है। ग्रुप में बैठने पर दोस्तों के साथ अपने नए और पुराने अनुभव बांटें। अनुभव बांटने से आपको और उन्हें अच्छा लगेगा, साथ ही याददाश्त भी मजबूत होगी। कुछ लोगों के पास कहानी को लंबे और रोचक तरीके से बताने की कला होती है।
शारीरिक व्यायाम भी एक तरह से दिमागी कसरत ही है। एक्सर्साइज करने के दौरान होने वाली हलचल का असर सीधे दिमाग की नसों पर पड़ता है। नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करने की आदत व्यक्ति को दिमागी रूप से स्वस्थ बनाती है। आप जो शारीरिक व्यायाम कर रहे हैं उसमें एक निश्चित समय अंतराल पर बदलाव की कोशिश करें, इससे आपका दिमाग ज्यादा स्वस्थ बना रहेगा।
नई स्किल सीखकर भी दिमाग को फिट रखा जा सकता है। अपने दिमाग को नई चीजों के बारे में सोचने के लिए फ्री छोड़ दें जैसे अनुभव को बढ़ाएं ,योग्यता का प्रदर्शन करे ,अपना विकास करे ,नए नए प्रशिक्षण ले ,अपने ज्ञान और अनुभव को बढ़ाएं ,कुछ न कुछ नया सीखने का प्रयास करे ,,अपनी क्षमता बढ़ाये और कुछ न कुछ ट्रेनिंग या प्रशिक्षण लेते रहे .
अपने समय का प्रबधन इस प्रकार रखे की खाली दिमाग  न रहे .समय का सदुपयोग करे .तनाव जीवन का अनिवार्य अंग बन चूका हैं उससे निपटने के लिए अनावश्यक चिंताओं को अपने मन मस्तिष्क पर बोझ न डालें .कहना सरल पर पर अपनाना कठिन हैं पर इसके लिए कोई अन्य मार्ग नहीं हैं।मन चंगा तो कठौती में गंगा .मन के हारे हार हैं और मन के जीते जीत।
( लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ) 

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