दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद महिला को 25 सप्ताह के गर्भ को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी। एम्स के मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण सामान्य नहीं है। साथ ही कहा था कि गर्भपात करने पर महिला को कुछ जोखिम उठानी पड़ सकती है। चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल व जस्टिस सी. हरि. शंकर की पीठ के समक्ष मेडिकल बोर्ड में शामिल एम्स के डॉ. अपर्णा शर्मा ने बताया कि गर्भपात कराने से महिला को किस तरह के खतरे हो सकते हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि भ्रूण करीब साढ़े छह माह का है, ऐसे में गर्भपात के समय महिला की सर्जरी करनी पड़ सकती है। उन्होंने यह साफ किया कि जोखिम जान जाने का नहीं है। इसके बाद हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद महिला को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी।