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रक्षामंत्री राजनाथ ने दिए संकेत, साल के अंत में हो सकते हैं जम्मू कश्मीर में चुनाव 

रक्षामंत्री राजनाथ ने दिए संकेत, साल के अंत में हो सकते हैं जम्मू कश्मीर में चुनाव 

जम्मू । जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाने का पहला संकेत देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस साल के अंत तक चुनाव कराए जाने की संभावना है। महाराजा गुलाब सिंह के ‘राज्याभिषेक के 200वें वर्ष के उपलक्ष्य में यहां समारोह को संबोधित कर सिंह ने कहा कि परिसीमन की कवायद हाल में पूरी हुई जिसके बाद कश्मीर में 47 और जम्मू में 43 सीट के साथ सीट की कुल संख्या बढ़कर 90 हो गई है।
केंद्र शासित प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर आए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘इस साल के अंत तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। निर्वाचन आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता सूची में संशोधन शुरू करने और 31 अगस्त तक प्रारूप मतदाता सूची तैयार करने की घोषणा के दो दिन बाद चुनाव को लेकर किसी समय सीमा का संकेत मिला है। अधिकारियों के अनुसार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने समीक्षा की और जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को फिर से बनाए गए विधानसभा क्षेत्रों का नक्शा बनाने का निर्देश दिया। समीक्षा प्रक्रिया के दौरान, नागरिकों को मतदाता सूची में अपना विवरण दर्ज कराने, हटाने और बदलाव का अवसर दिया जाएगा।
पिछले महीने, केंद्र ने अधिसूचना जारी कर कहा कि परिसीमन आयोग का आदेश 20 मई से लागू होगा। आयोग ने निर्वाचन क्षेत्रों का खाका फिर से तैयार कर जम्मू संभाग को छह अतिरिक्त विधानसभा सीट और एक सीट कश्मीर को प्रदान किया। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के तहत स्थापित परिसीमन आयोग के आदेशों के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा क्षेत्र होगा। इनमें जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्र होंगे, जिनमें से नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगी। जम्मू कश्मीर जब राज्य था उस समय 87 सीट थीं। इनमें कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में चार सीट थी। राज्य के पुनर्गठन के दौरान, लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया, जहां विधायिका का प्रावधान नहीं है।
रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की छवि और भाग्य बहुत तेज गति से बदल रहा है और वह समय दूर नहीं जब यह न केवल देश बल्कि पूरे एशिया के लिए एक उदाहरण बनेगा। सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पिछले 70 वर्षों में बहुत दर्द झेला है क्योंकि कुछ लोगों की वोट बैंक की राजनीति और उनके निहित स्वार्थ अनुच्छेद -370 को निरस्त करने में बाधक बन गए थे, जिसके कारण घाटी में अलगाववादी विचारधारा मजबूत हुई थी। उन्होंने कहा, आखिरकार, पांच अगस्त 2019 को वह ऐतिहासिक दिन आयाजब संसद के दोनों सदनों ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया और इसके साथ ही संवैधानिक दूरी को पाटा गया और बहुत सारे बदलाव किए गए।
 

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