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भारत को जनसंख्या नियत्रंण कानून की जरुरत : मोहन भागवत -जनसंख्या नियत्रंण, पैंगबर विवाद, कोरोना संकट, पर कही बात 

भारत को जनसंख्या नियत्रंण कानून की जरुरत : मोहन भागवत -जनसंख्या नियत्रंण, पैंगबर विवाद, कोरोना संकट, पर कही बात 


नागपुर । महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुख्यालय में दशहरा पर्व पर शस्त्र पूजा की गई। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया के उदाहरण पेश कर जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण सहित कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी बहुत जरूरी है, इस नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, जनसंख्या को संसाधन की जरूरत होती है। अगर यह संसाधन को बढ़ाए बगैर बढ़ेगी, तब बोझ बनेगी। उन्होंने कहा, यदि इसका सही इस्तेमाल हो तब यह साधन भी है। संपत्ति भी है। किसी भी देश में 57 करोड़ युवाओं की संख्या नहीं है। हमारा पड़ोसी देश चीन बुजुर्ग हो चला है। लेकिन हमें विचार को समझना होगा।'
संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या को लेकर एक समग्र नीति बननी चाहिए और उसमें किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए। सभी पर समान रूप से नीति लागू होनी चाहिए। यदि कोई चीज लाभ वाली बात है, तब समाज आसानी से स्वीकार कर लेता है। लेकिन जहां देश के लिए छोड़ना पड़ता है, तब थोड़ी दिक्कत आती है।
किसी की श्रद्धा को ठेस न पहुंचाएं पैगंबर विवाद पर भागवत 
आरएसएस प्रमुख भागवत ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद पर बयानों के कारण छिड़े विवाद पर भी बात की है। उन्होंने इस दौरान किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों में ही बयानबाजी करने वाले लोगों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि किसी की श्रद्धा को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए। इसका ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि समाज को तोड़ने के प्रयास चल रहे हैं। उदयपुर, अमरावती सहित कई जगहों पर क्रूर घटनाएं हुई हैं। पूरे समाज में इससे अशांति फैलने का खतरा रहता है। मुस्लिमों के भी प्रमुख लोगों ने इसका विरोध किया। उनकी इस टिप्पणी को उन लोगों के लिए संदेश माना जा रहा है, जिनके बयानों पर विवाद रहे हैं।
भागवत ने दिल्ली की एक मस्जिद में अपन दौरे का जिक्र कर कहा कि आरएसएस की ओर से अल्पसंख्यकों से वार्ता कोई पहली बार नहीं है। हमने पहले भी ऐसा किया है। डॉ. हेडगेवार के समय से ऐसा चला आ रहा है और गुरुजी ने जिलानी से मुलाकात की थी। तब से ही हमारा सभी वर्गों के साथ संवाद चलता रहा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि हम उस समाज से आते हैं, जो गलत को स्वीकार नहीं करता।
संघ संस्थापक गोलवलकर डॉ. जिलानी से मिले 
इस मौके पर संघ प्रमुख ने कहा हम विश्व में सब जगह और सबके साथ भाईचारा और शांति के पक्षधर हैं। लेकिन लोग डराते हैं। अरे, संघ वाले मारेंगे, अरे, हिंदू संगठन होगा ना तब सबको बाहर जाना पड़ेगा। यह हौव्वा फैलाते हैं। ऐसा कुछ डर मन में है। इसलिए हम इसका निराकरण करने की इच्छा मन में लेकर तथाकथित अल्पसंख्यक समाज के कुछ बंधु पिछले कुछ वर्षों में हमसे मिलते रहे हैं। हम भी मिले हैं, हमारे प्रमुख अधिकारी भी उनसे मिले हैं। आना-जाना, दोनों चल रहा है। ये कोई परसों नहीं हुआ, ये बहुत पहले से चल रहा है। भाव तब संघ का डॉक्टर साहब (डॉ.हेडगेवार) के समय से ही शुरू हुआ। लेकिन प्रत्यक्ष में शुरू हुआ जब गुरुजी (संघ के संस्थापक गोलवलकर) से डॉक्टर जिलानी मिले थे। तब से यह क्रम धीरे-धीरे बढ़ रहा है। यह बढ़े, ऐसी संघ की इच्छा है। संघ इस संवाद को कायम रखेगा क्योंकि समाज को तोड़ने के प्रयास चल रहे हैं।
महर्षि अरविंद ने कहा, भारत का विभाजन हुआ। इसके कारण हिंदू-मुसलमानों की दूरी मिटने के बजाय एक नई शाश्वत राजनीतिक खाई बन गई। यह गलत हो गया। जिस किसी मार्ग पर जाना है, उस विभाजन को जाना चाहिए। नहीं तो भारत की उन्नति, भारत की प्रगति और शांति, और भारत का दुनिया में जो योगदान अपेक्षित है, उसके मार्ग में ये सदा बाधा बनता रहेगा।'
कोरोना संकट से उबर रही भारतीय अर्थवस्थ्या 
कोरोना संकट से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वहां आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है। हमें प्रगति करनी है, तब स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलने वाले हैं, तब यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा।
8। समाज में समानता और सबको सम्मान का भाव रखना होगा
मंदिर, पानी, श्मसान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वहां घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं। कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई,तब जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तब बीमारी के बाद होता है।
 

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