
भोजपुरी सिनेमा में एक खास मुकाम बनाने वाले रवि किशन की तारीफ इस तरह से भी की जाती है कि उन्हें सीधे भोजपुरी का अमिताभ कह दिया जाता है। वैसे आपको बतला दें कि रवि किशन सिर्फ भोजपुरी के ही नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा के भी जाने-पहचाने नाम हैं। उन्होंने बॉलीवुड में भी अच्छी भूमिकाएं की हैं। यही नहीं बल्कि उन्होंने राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराकर भी सभी को हैरान करने जैसा काम किया है। अब वो कलाकार के साथ ही भाजपा के नेता भी हैं। ऐसा नहीं है कि रवि किशन को यह सब थाली में सजा सजाया मिल गया, बल्कि इसके लिए उन्हें अथाह मेहनत करनी पड़ी है। उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में काफी नाम कमाने के पहले तक तंगहाली के दिन भी गुजारे हैं। उनका जीवन भी संघर्ष और उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। गौरतलब है कि रवि किशन के पिता एक दूध की डेयरी चलाया करते थे। इसलिए उनकी मंशा तो यही थी कि रवि भी उनका इस काम में हाथ बटाए, लेकिन सदा लीक से हटकर कुछ करने की बात करने वाले रवि को यह सब मंजूर नहीं था। एक समय तो ऐसा भी आया जबकि पिता की दूध डेयरी भी ठप हो गई। इसके बाद पूरा परिवार जौनपुर आ गया, जहां परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब रही। एक साक्षात्कार के दौरान रवि किशन ने खुद भी बतलाया था कि वो कच्चे मकान में रहा करते थे, मॉं को साड़ी खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे। इसलिए तीन माह तक रवि ने अखबार बेंचने का काम किया और उससे जो पैसे मिले उसमें मॉं के लिए साड़ी लाए। रवि किशन को बचपन से ही बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन बेहद पसंद रहे, इसलिए यह इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि आज उन्हें भोजपुरी सिनेमा का अमिताभ कहा जाता है। बहरहाल रवि किशन राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं, इससे पहले तक उन्होंने तेरे नाम, फिर हेरा फेरी, लक, रावन, मोहल्ला अस्सी और तनु वेड्स मनु जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जादू दिखला चुके हैं।