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बर्खास्त हो सकती है कर्नाटक सरकार! - राज्यपाल कर सकते हैं अपने अधिकारों का इस्तेमाल

बर्खास्त हो सकती है कर्नाटक सरकार! - राज्यपाल कर सकते हैं अपने अधिकारों का इस्तेमाल

कर्नाटक में पिछले एक साल से जारी राजनीतिक घटनाक्रम बेहद नाटकीय मोड़ पर पहुंच गया है। एक साल पुरानी एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास मत पर गुरुवार को विधानसभा में बहस शुरू हुई, जिस पर गुरुवार को मतदान होना था, लेकिन इसे पहले शुक्रवार फिर सोमवार तक के लिए टाल दिया गया। राज्यपाल की ओर से शुक्रवार को 2 बार डेडलाइन दिए जाने के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं कराया गया। अब खबर आ रही है कि कर्नाटक सरकार को बर्खास्त किय जा सकता है। ऐसा करने के लिए राज्यपाल वजुभाई वाला अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले 2 दिनों से जिस तरह राज्य विधानसभा में कार्यवाही चल रही है, उससे साफ नजर आता है कि कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही विश्वास मत पर वोटिंग अभी नहीं कराना चाहते और इसे अगले हफ्ते तक के लिए टालना चाहते हैं। राज्य सरकार को लगता है कि उसके पास बहुमत के लिए पर्याप्त आंकड़ा नहीं है।

बर्खास्त हुई सरकार तो क्या 
1994 के एसआर बोम्मई बनाम भारत सरकार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्य की सरकारों को बर्खास्त संबंधी अनुच्छेद की व्याख्या की और आदेश दिया कि अनुच्छेद 356 के तहत यदि केंद्र सरकार राज्य की चुनी हुई सरकार को बर्खास्त करती है तो सुप्रीम कोर्ट बर्खास्त करने के कारणों की समीक्षा कर सकता है। एसआर बोम्मई अगस्त 1988 से 21 अप्रैल 1989 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, तब केंद्र सरकार ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति से घोषणा करवाकर राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया था। राज्य सरकार के बर्खास्त करने संबंधी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 356 (1) के तहत की गई घोषणा की न्यायिक समीक्षा हो सकती है और सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से उस सामग्री को अदालत में पेश करने के लिए कह सकता है जिसके आधार पर राज्य की सरकार को बर्खास्त किया गया।

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