
विधानसभा में कुलपति को कार्यकाल के बीच में ही हटाने संबंधी विधेयक पारित होने के 24 घंटे में ही कुलपति के इस्तीफे देने का पहला मामला सामने आया है। जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाब सिंह चौहान ने पद से बुधवार शाम को इस्तीफा दे दिया है। राजभवन को सौंपे इस्तीफे में उन्होंने खराब स्वास्थ्य तथा निजी कारणों का हवाला दिया है। हालांकि माना ये जा रहा है कि चुनाव आचार संहिता से 3 घंटे पहले कुलपति बनाए गए प्रो. चौहान का 10 माह का कार्यकाल विवादों में रहा था। उनके कार्यकाल में की गई कई भर्तियां जांच के दायरे में थी। यही नहीं सरकार ने विश्वविद्यालय को मिलने वाली ग्रांट रोककर मिस मैनेजमेंट को लेकर उन्हें खरी-खोटी भी सुनाई थी। इसी बीच, जयपुर में उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि उदयपुर में मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवसिर्टी में भी अनियमितता की जांच लंबित है। वहां के कुलपति ने अपने चहेते को एलडीसी की परीक्षा में 75 में से 75 नंबर दिए। अन्य कई साक्ष्य प्रमाणित हो चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान यूनिवर्सिटी समेत कई और यूनिवर्सिटीज में भी अनियमितताएं की शिकायतें मिली हैं। भाटी ने इन सभी की जांच करवाने की बात कही। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि प्रदेश में कुछ और कुलपतियों के भी इस्तीफे हो सकते हैं। बता दें कि चौहान जोधपुर में वर्ष 1992 के बाद कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले पहले कुलपति हैं। 6 अक्टूबर 2018 को उन्होंने चुनाव आचार संहिता से तीन घंटे पहले वीसी का पदभार संभाला था। वे 298 दिन तक कुलपति के पद पर रहे। मंगलवार को ही विधानसभा में राजस्थान विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक 2019 पारित किया गया। इसके अंतर्गत अब प्रदेश में किसी भी यूनिवर्सिटी के कुलपति पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने या गलती पाए जाने पर सरकार से परामर्श से राज्यपाल कभी भी हटा सकेंगे। मंगलवार को सदन में विधेयक पारित करवाते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने भी कहा था कि पिछली सरकार ने संघनिष्ठ लोगों और भाजपा नेताओं के बेटे-बेटियों को यूनिवर्सिटीज में लगाया। उन्होंने कुछ यूनिवर्सिटीज के भी नाम लिए थे।