
प्रदेश की तीन विद्युत वितरण कंपनियों का विलय, यह एक स्वागत योग्य कदम होगा, लेकिन प्रâांस की जिस कंपनी ने विलय का ढांचा बनाया है उसने ऐसे विलय से बनी एक बिजली कंपनी का मुख्यालय जबलपुर से शिफ्ट करके भोपाल में रखने की अनुशंसा की है।
मप्र के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया है कि इस प्रâांस कंपनी की अनुशंसाओं पर विचार कर शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा।
मुख्यालय को जबलपुर से शिफ्ट करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक आयोजित कर स्पष्ट किया कि मुख्यालय को जबलपुर से दूसरे किसी भी शहर में शिफ्ट करना यह जबलपुर के साथ किये गये वादों के खिलाफ होगा। सभी संगठनों की ओर से ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत िंसह को विरोध पत्र प्रेषित किया गया।
विखण्डन बर्दाश्त नहीं करेंगे........
प्रदेश सरकार तथा प्रâांस कंपनी ने दलील दी है कि जबलपुर में सरकार की प्रॉपर कनेक्टीविटी तथा सही तालमेल नहीं बन पाता।
जब मध्यप्रदेश का गठन किया गया था तो जबलपुर को राजधानी बनाने की अनुशंसा राज्य पुर्नगठन आयोग ने की थी। लेकिन बाद में जबलपुर की जगह भोपाल में प्रदेश की राजधानी बनाई गई। जबलपुर को राजधानी नहीं बनाने के बदले जबलपुर में हाईकोर्ट तथा विद्युत मंडल को सौगात के रुप में प्रदान किया गया। इसी कारण इन दोनों संस्थाओं के मुख्यालय जबलपुर में ही स्थापित किये गये।
लेकिन बाद में हाईकोर्ट का तो विखंडन किया ही गया और अब वितरण कंपनियों का मुख्यालय भी भोपाल शिफ्ट करने की कवायद चल रही है।
आजकल वीडियो कांप्रâेंसिंग के जमाने में कनेक्टीविटी न होने का बहाना हास्यापद है। यह तो जबलपुर की अस्मिता पर गहरी चोट है तथा जबलपुर को नीचा बताया जा रहा है।
बैठक में डॉ.पी.जी.नाजपांडे, रजत भार्गव, आर.एस.तिवारी, डी.पी.दुबे, सुभाष चंद्रा, डॉ.एम.ए.खान, राजेश गिदरोनिया तथा राममिलन शर्मा आदि उपस्थित थे।