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तीन तलाक कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में दर्ज हुई पहली एफआईआर - ७ महीने की गर्भवती थी शिकायतकर्ता महिला

तीन तलाक कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में दर्ज हुई पहली एफआईआर  - ७ महीने की गर्भवती थी शिकायतकर्ता महिला

 हाल ही में तीन तलाक पर बने कानून अमल में आने के बाद महाराष्ट्र में पहली एफआईआर दर्ज की गई है. दरअसल, मुंबई से सटे मुंब्रा इलाके में रहने वाली एक उच्च शिक्षित महिला ने अपने पति, सास और ससुर के खिलाफ मुंब्रा पुलिस थाना में दि मुस्लिम विमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट एंड मैरिज एक्ट 2019 के तहत मामला दर्ज कराया है. महिला का आरोप है कि १४ महीना पूर्व उसके पति इम्तियाज गुलाम पटेल ने वाट्सएप पर तीन तलाक दे दिया. उस वक्त वो ७ महीने की गर्भवती थी. अभी उसका लड़का ६ महीने का है. चूंकि उस वक्त कोई कानून नहीं था इसलिए पीड़िता ने शिकायत नहीं की. बता दें, बीते ३० जुलाई को केंद्र सरकार ने तीन तलाक पर बनाये कानून को लोकसभा और राज्यसभा से पारित करवाया है और राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी है जिसके बाद भारत में तीन तलाक अपराध है. तीन तलाक बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है. अगर मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे. महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी. मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे. तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा. तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी. नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है.

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