
राउज एवेन्यू अदालत के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने ३६०० करोड़ के वीवीआईपी चौपर डील केस में मनी लांड्रिंग के कथित आरोपी कारोबारी रतुल पुरी की अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। पुरी ने इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर २७ जुलाई को अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहता है। अदालत ने रतुल पुरी की गिरफ्तारी पर रोक भी ६ अगस्त तक बढ़ा दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान एक शख्स महिपाल सिंह अपने वकील के साथ कोर्ट में पेश हुआ। उसने ईडी पर शारीरिक रूप से प्रतड़ित कर जबरन उसका बयान लेने का आरोप लगाया। कोर्ट ने सुनवाई के बीच में आने के लिए महिपाल के वकील अजयेंद्र सांगवान को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसी बात थी तो उन्हें पुलिस के पास जाना चाहिए था या फिर मजिस्ट्रेट के समक्ष जाना चाहिए था। वह सीधे विशेष अदालत में चल रही सुनवाई में क्यों आए? ऐसी क्या जल्दी थी? अदालत ने इस शख्स की अर्जी पर जवाब मांगते हुए सुनवाई के लिए शनिवार की तारीख तय की है। कोर्ट के समक्ष रतुल पुरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और विजय अग्रवाल ने कहा कि उनका मुव्वकिल जांच में लगातार सहयोग कर रहा है। २५ बार से अधिक जांच में शामिल हुआ है और उससे करीब २०० घंटे पूछताछ हो चुकी है। इसके अलावा, वह केस से जुड़े तमाम दस्तावेज ईडी को दे चुका है। यह मामला २०१४ में दर्ज किया था और उसे गिरफ्तार नहीं किया है। ईडी अब रतुल पुरी को आरोपी से सरकारी गवाह बने राजीव सक्सेना के बयान के आधार पर गिरफ्तार करना चाहती है। ईडी ने राजीव की जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट में अर्जी दायर कर रखी है।
ईडी ओर से विशेष अधिवक्ता डीपी सिंह का कहना है कि रतुल पुरी से इस मामले में गिरफ्तार कर पूछताछ करना जरूरी है, क्योंकि वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर रहा है और गवाहों को धमका रहा है। उसकी कंपनी का सीए केके खोसला पिछले ४ माह से नहीं मिल रहा है और उसकी हत्या की आशंका है। हालांकि, ईडी ने इस बात से अगले दिन ही यू टर्न लेते हुए कहा था कि उसके किसी सूत्र ने बताया है कि केके खोसला जिंदा है और जल्द ही ईडी के पास आ सकता है। एजेंसी का यह भी तर्क है कि रतुल पुरी ईडी के कार्यालय गया, लेकिन उसने जांच में सहयोग नहीं किया। वह २६ जुलाई को अपने बयान पर दस्तखत किए बिना ही वहां से गायब हो गया था।