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दोबारा शुरु नहीं होगी एनआरसी प्रक्रिया, 31 तक होगा ड्राफ्ट का फाइनल प्रकाशन : सुप्रीम कोर्ट

दोबारा शुरु नहीं होगी एनआरसी प्रक्रिया, 31 तक होगा ड्राफ्ट का फाइनल प्रकाशन : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनआरसी डाटा में आधार की तरह गोपनीयता बनाए रखी जाएगी। 31 अगस्त को फाइनल एनआरसी का प्रकाशन किया जाएगा। एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने की समयसीमा पहले 31 जुलाई तक थी, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी थी। हालांकि, कोर्ट ने एनआरसी ड्राफ्ट में जगह पाने वाले लोगों की दोबारा समीक्षा की केंद्र और राज्य सरकार की मांग ठुकरा दी थी। केंद्र और राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में 20 फीसदी की दुबारा जांच की मांग की थी। सरकार ने आशंका जताई थी कि लाखों अवैध शरणार्थी भी स्थानीय एनआरसी अधिकारियों के साथ मिलकर एनआरसी ड्राफ्ट में जगह पा लिए। 
सुप्रीम कोर्ट ने को-ऑर्ड‍िनेटर प्रतीक हजेला से कहा था कि आपको 31 जुलाई की समयसीमा तक काम पूरा करना है, सिर्फ इस वजह से प्रक्रिया को जल्दबाजी में न करें। कोर्ट ने कहा था कि मीडिया में ऐसी खबरें भी चल रही हैं कि दावों और आपत्तियों के साथ किस तरह निपटा जा रहा है। अदालत ने कहा मीडिया हमेशा गलत नहीं होता है। इस लिए इस प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कृपया यह तय कीजिए कि प्रक्रिया में कोई कमी नहीं  रहनी चाहिए और इसे सही तरीके से किया जाना चाहिए। 
उल्लेखनीय है कि असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट गत 30 जुलाई 2018 को जारी किया गया था। इस फाइनल ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोग बाहर रह गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि दावा पेश करते समय व्यक्ति दस दस्तावेजों में से किसी एक या उससे ज्यादा को आधार बना सकता है। बाकी के पांच दस्तावेजों को आधार बनाए जाने पर कोर्ट ने संयोजक हजेला से 15 दिन में उनका नजरिया मांगा। सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सभी 15 दस्तावेजों को आधार बनाने की इजाजत मांगते हुए कहा था कि असम के ज्यादातर लोग गांव में रहने वाले और कम पढ़े लिखे हैं, जो छूट गए हैं। उन्हें दावा करने का मौका मिलना चाहिए।  
सुप्रीम कोर्ट ने कहा वैसे तो किसी को दोबारा मौका नहीं मिलना चाहिए बात सिर्फ दस्तावेजों की जांच परख की होती है, लेकिन इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वे रियायत करते हुए एक और मौका दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन पांच दस्तावेजों की इजाजत कोर्ट नहीं देना चाहता वे ऐसे दस्तावेज हैं, जिन्हें फर्जी बनवाया जा सकता है। बाकी के दस दस्तावेज सरकारी एजेंसी से जारी हुए होंगे। हालांकि इन पांच दस्तावेजों को आधार बनाने का मामला पूरी तरह बंद नहीं किया जा रहा है, पहले वे इस पर हजेला की रिपोर्ट देखेंगे।

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