
कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया है कि शहर में मावा लेकर आने वाले वाहनों को पकड़ा नहीं जाएगा। खाद्य सुरक्षा अधिकारी मावा के सैंपल वाहन रोककर रास्ते में नहीं लेंगे, सिर्फ दुकानों से ही लिए जाएंगे। यह जानकारी हडताल कर रहे व्यापारियों ने दी। कलेक्टर के आश्वासन के बाद व्यापारियों ने हडताल समाप्त कर दी है। यहां बता दें कि खाद्य व औषधि प्रशासन की कार्रवाई के डर से शहर में पिछले 20 दिन से मावा नहीं आ रहा था। राजगढ़, रतलाम व ग्वालियर अंचल से आता है। रक्षाबंधन के त्यौहार में मिठाई विक्रेताओं व आम लोगों की मांग बढ़ रही थी। वहीं मावा नहीं आने से नाराज व्यापारियों ने अनिश्चित समय के लिए दुकानें बंद कर दी थीं। अब कलेक्टर तरुण पिथोड़े के आश्वासन मिलने के बाद दोपहर दो बजे से फिर से दुकानें खोलीं। हालांकि, शाम तक मावा कहीं से नहीं आया।
बुधवार से शहर में मावा की आवक बढ़ने की उम्मीद है। इधर, मावा नहीं आने से शहर में घी-मैदा और छेना की मिठाइयों की मांग बढ़ गई है। मावा व्यापारी देवेन्द्र जैन ने बताया कि आम दिनों में शहर में 5 से 7 क्विंटल मावा की जरूरत होती है। रक्षाबंधन के समय 25 से 30 क्विंटल मावा की जरूरत होती है। इसके बदले भोपाल के आसपास के किसान चोरी-छुपे मावा लेकर आ रहे थे। यह मात्रा 50 किलो से भी कम था। उधर मावा के असली नकली के पहचान को लेकर एक्सपर्टस का कहना है कि मावा पर आयोडीन टिंक्चर की एक बूंद डालिए। मावा दूध से बना नहीं होगा तो जहां टिंक्चर की बूंद गिरेगी वह हिस्सा काला हो जाएगा। दूध से बने मावा में यह बूंद डालने से वह हिस्सा पीला रहेगा। इस तरह से असली नकली मावे की पहचान आसानी से की जा सकती है।