
विश्व क्रिकेट के नियम बनाने वाली शीर्ष संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पहले एशेज टेस्ट में कई खराब फैसलों के बावजूद कहा कि टेस्ट मैचों में तटस्थ अंपायर बने रहेंगे। पिछले सप्ताह एजेबस्टन में हुए पहले एशेज टेस्ट में वेस्टइंडीज के अंपायर जोएल विल्सन और पाकिस्तान के अलीम दार के 10 फैसलों को खिलाड़ी डीआरएस की मदद से बदलवाने में सफल रहे थे। इसके अलावा कम से कम पांच और गलत फैसले थे जिनकी समीक्षा नहीं कराई गई। विल्सन के आठ फैसलों को खिलाड़ी सफलतापूर्वक बदलवाने में सफल रहे। इसके बाद से ही तटस्थ अंपायरों पर सवाल उठने लगे थे लेकिन इसके बावजूद एमसीसी ने जोर देकर कहा है कि तटस्थ टेस्ट अंपायरिंग आगे बढ़ते हुए सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
एमसीसी के क्रिकेट प्रमुख जॉन स्टीफनसन ने कहा कि पिछले मैच के बाद बेशक इस पर अधिक ध्यान गया है। वहीं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने गैर तटस्थ अंपायरों को वापस लाने की संभावना का जिक्र किया है और आईसीसी क्रिकेट समिति ने भी इस पर चर्चा की है, लेकिन सभी का मानना है कि अब भी तटस्थ अंपायरिंग काम कर रही है। फिलहाल एलीट पैनल के 12 में से सात अंपायर ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड से हैं और स्टीफनसन ने कहा कि मौजूदा समय की जरूरत है कि दुनिया भर में अंपायरिंग के स्तर पर अधिक निवेश किया जाए। एमसीसी की क्रिकेट समिति की दो दिवसीय बैठक के दौरान आईसीसी एलीट पैनल में अंपायरों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया।