
मॉनसून की बारिश में आई तेजी से साल की बाकी अवधि में खेती के लिए अनुकूल स्थिति बनी है। देशभर के ज्यादात्तर जलाशयों में काफी पानी भर चुका है। खरीफ फसलों की बुआई रफ्तार पकड़ चुकी है। इसके मद्देनजर जानकारों का कहना है कि इस साल अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। इसके बाद देश की अर्थव्यवस्था को काफी सपॉर्ट मिलेगा क्योंकि इससे किसान आय बढ़ेगी और त्यौहारी सीजन में जमकर गाड़ियों और सोने-चांदी की खरीदारी पर खर्च कर सकते हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगस्त में बारिश सामान्य के मुकाबले अबतक 35 फीसदी ज्यादा रही है। इससे खरीफ फसलों की बुआई की रफ्तार बढ़ी है। जलाशयों में पिछले 10 साल के औसत के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा पानी भर चुका है। इसके कारण खेती-बड़ी को लेकर परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है।
जून में यह तस्वीर काफी खराब थी। तब बारिश सामान्य के मुकाबले एक-तिहाई कम होने से सरकारी अधिकारी सूखे से राहत के उपायों के बारे में सोच रहे थे। जलाशयों में भी पानी का स्तर काफी कम था। जलाशयों में पानी के स्तर का सीधा संबंध मॉनसून के बाद पीने के लिए पानी की जरूरतों, सिंचाई और बिजली उत्पादन से है। जानकारों का कहना है कि अब खरीफ की फसल बहुत अच्छी रहने की उम्मीद है। जिसके बाद किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। इसके बाद त्यौहारी सीजन के दौरान मांग में इजाफा देखने को मिलेगा। कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने कहा, 'अच्छा मॉनसून बेहतर फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले साल अनाजों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस साल भी हम शानदार उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 30 दिनों में बुआई में आई कमी की अब भरपाई हो रही है। हमें धान की बुआई में थोड़ी कमी दिख रही है लेकिन अगस्त के अंत तक कमी भी दूर हो जाएगी। कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक,तिलहन की बुआई करीब पिछले साल जितनी है, कॉटन की बुआई 5.6 फीसदी ज्यादा है, जबकि दलहन और मोटे अनाज की बुआई 3.5 फीसदी कम है। धान की बुआई 11 फीसदी कम है। इस तरह से फसलों की कुल बुआई पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी रह गई है। जून में 12.5 फीसदी की कमी के मुकाबले यह काफी अच्छी स्थिति है।