
देश के विभिन्न राज्यों में भारी बारिश के बाद बाढ़ के हालात बने हुए हैं। उत्तर भारत के राज्यों में भी बाढ़ का खतरा बढऩे लगा है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले सप्ताहांत मूसलाधार बारिश से मची तबाही में 36 लोग मारे गए हैं और सैंकड़ों फंसे हुए हैं। उत्तर भारत के अन्य राज्य हरियाणा, पंजाब, जम्मू और दिल्ली में भी अब बाढ़ के हालात बन गए हैं। सोमवार को हिमाचल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 हो गई तो उत्तरकाशी में बादल फटने से बहे लोगों में से 11 के शव ही बरामद हो पाए। यहां सात लोग अब भी लापता हैं। इन दोनों राज्यों में लोगों की दुश्वारियां कम नहीं होने का नाम नहीं ले रही हैं। हिमाचल में चार नेशनल हाईवे समेत 1088 सड़कों पर यातायात ठप रहा और 500 से ज्यादा लोग फंसे रहे। लाहौल-स्पीति के नीलकंठ में दो फीट ताजा बर्फबारी हुई और बारिश के चलते हवाई उड़ानें भी बाधित रहीं। प्रदेश में अतिवृष्टि से अब तक करीब 574 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मौसम विज्ञान राज्यभर में 25 अगस्त तक मौसम खराब रहने की आशंका जताई है। उधर, उत्तरकाशी में रविवार को खराब मौसम के कारण बाधित रहा बचाव कार्य सोमवार को शुरू हुआ लेकिन प्रशासन अभी सभी गांवों तक नहीं पहुंच सका है। तीन हेलीकॉप्टरों से लोगों तक भोजन पैकेट और दवाइयों समेत राहत सामग्री पहुंचाई गई। एसडीआरएफ के आईजी संजय गुंजयाल ने बताया, बाढ़ प्रभावित आधा दर्जन गावों में लोगों से संपर्क साध लिया गया है। छह और गांवों तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गंगा खतरे के निशान के पार
उत्तराखंड में ज्यादातर जगहों पर हो रही भारी बारिश के चलते छोटी-बड़ी नदियां उफान पर हैं। सोमवार को हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान को पार कर 294.45 मीटर के जलस्तर पर बहने लगी। ऋषिकेश में यह खतरे के निशान से महज कुछ सेमी. नीचे है। गंगा के उफान से हरिद्वार जिले के कल्सिया, शेरपुर बेला, डुमनपुरी, हिम्मतवाला आदि दर्जनों गांवों में धान और गन्न की 30 हजार बीघा फसल को नुकसान पहुंचा है। इस क्षेत्र के 30 गांवों के ग्रामीणों को सतर्क कर दिया गया है।