
पूरे मध्यप्रदेश में वर्तमान प्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय का विखण्डन नहीं किया लेकिन जबलपुर ही ऐसा शहर है जिसके साथ भेदभाव करके मध्यप्रदेश की पुरानी युनिवर्सिटी रादुविवि का विखण्डन कर डाला। इससे न केवल रादुविवि का कद घटा बल्कि जबलपुर की अस्मिता पर चोट पड़ी है। पूर्व में भी देश का विख्यात जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय का भी विखण्डन कर उसे सिमटा गया है।
यह आक्रोश व्यक्त करते हुये आम नागरिक मित्र फाउण्डेशन ने मांग की है कि राज्य सरकार रादुविवि को विशेष दर्जा दे तथा अतिरिक्त आर्थिक पैकेज प्रदान करें। यदि इस बाबत् राज्य सरकार तत्काल कोई ठोस निर्णय नहीं लेगी तो आम नागरिक मित्र फाउण्डेशन ने तय किया है कि जबलपुर के सभी संगठनों को साथ लेकर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करने हेतु अगले सप्ताह में संयुक्त बैठक आयोजित की जायेगी।
आर्थिक स्थिति दयनीय कर डाली........
रादुविवि में फीस के रुप में प्रतिवर्ष ५० करोड़ की आय हो रही थी, लेकिन अब इस विश्व विद्यालय का विखण्डन करने से १ लाख ८० हजार छात्रों में से अब ८० हजार छात्र कम हो जायेंगे तथा रादुविवि में मात्र १ लाख छात्र ही अध्ययनरत् रहेंगे। जाहिर है कि फीस की आमदनी में ३० से ४० प्रतिशत की आय घट जायेगी तथा इससे प्रतिवर्ष ११ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा। यह मालूम होते हुए भी राज्य सरकार ने विशेष आर्थिक पैकेज की कोई घोषणा अभी तक नहीं की है।
विधानसभा में जनप्रतिनिधि चुप क्यों बैठे?...........
विधानसभा में रादुविवि के विखण्डन का प्रस्ताव आने के बाद जबलपुर के जनप्रतिनिधियों द्वारा किसी तरह का विरोध नहीं किया गया है तथा वे अभी भी चुप बैठे हैं।
आम नागरिक मित्र फाउण्डेशन के डॉ.पी.जी.नाजपांडे, रजत भार्गव, अरविन्द एन्ड्रूज, डॉ.एम.ए.खान, डॉ.डी.आर.लखेरा तथा राममिलन शर्मा आदियों ने जनप्रतिनिधियों द्वारा साधी गई चुप्पी पर नाराजगी व्यक्त की।