
दिल्ली के मदनलाल खुराना, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की गैर मौजूदगी में भाजपा चुनावी मैदान में होगी, जिनकी पैठ न केवल पंजाबियों में थी बल्कि एलीट क्लास, व्यापारी वर्ग में भी थी। अगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के तीन दिग्गज नेताओं की कमी दिल्लीवासी महसूस करेंगे। चुनाव कैंपेन कमेटी भी उन्हें ऐसे विधानसभा क्षेत्र में प्रचार की कमान सौंपते थी, जहां इन वर्गों को साधा जा सके। एक साल में दिल्ली ने २ महत्वपूर्ण पंजाबी नेताओं को खो दिया। इनमें मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना, व अरुण जेटली शामिल हैं। अगस्त में दो दिग्गजों का निधन, जिसमें सुषमा स्वराज भी शामिल हैं। तीनों भाजपा के ऐसे दिग्गज नेताओं में शुमार रहे थे, जिनकी पकड़ दिल्ली के पंजाबी व सिख बिरादरी में थी। विभाजन के दौरान बड़ी संख्या में लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से दिल्ली आकर बसे थे। तिलक नगर, राजौरी गार्डन, मोतीनगर, हरिनगर, उत्तम नगर, जनकपुरी, तीमारपुर, मालवीय नगर, जंगपुरा, आरके पुरम, कालकाजी, गांधी नगर समेत कई विधानसभा क्षेत्रो में इन लोगों का दबदबा भी रहा। हालांकि बदले भौगोलिक परिवेश में कई क्षेत्रों में पूर्वाचलियों का दबदबा है। दिल्ली में अब इस वर्ग को साधने वाले दिग्गजों की कमी महसूस की जाएगी। अरुण जेटली पंजाबी समुदाय के साथ व्यापारी, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट समेत कई वर्ग के लोगों को प्रभावित करते थे। इसी तरह हरियाणा की मूल निवासी रही सुषमा स्वराज दिल्ली के पंजाबी व सिख समुदाय में भी प्रभावी नेता के तौर पर देखी जाती थीं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना की एक आवाज पर पंजाबी वर्ग के लोग एकजुट हो जाते थे।