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बे-टिकट यात्रियों से रेलवे ने तीन साल में वसूले 1,377 करोड़ रुपये

बे-टिकट यात्रियों से रेलवे ने तीन साल में वसूले 1,377 करोड़ रुपये

 भारतीय रेलवे ने बे-टिकट यात्रा करने वाले मुसाफिरों से बतौर जुर्माना पिछले तीन साल में करीब 31 फीसदी की बढ़ोतरी की है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, बे-टिकट यात्रियों पर नकेल कसने का ही नतीजा रहा कि 2016 से 2019 के बीच रेलवे को जुर्माने से 1,377 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ। साल 2018 में संसद की एक रेलवे कन्वेंशन समिति ने 2016-2017 की रेलवे की वित्तीय रिपोर्ट का निरीक्षण किया था और बे-टिकट यात्रियों की वजह से राजस्व को होने वाले नुकसान पर चिंता जताई थी। इसके बाद, रेलवे बोर्ड ने समूचे देश में बे-टिकट यात्रियों के खिलाफ अभियान को तेज करने का जोनल रेलवे को निर्देश दिया था और हर टीटीई के लिए वार्षिक लक्ष्य तय कर दिया था। मध्य प्रदेश के रहने वाले कार्यकर्ता की ओर से दायर आरटीआई के मुताबिक, 2016-2017 में रेलवे ने बे-टिकट यात्रियों पर जुर्माना लगाकर 405.30 करोड़ रुपये कमाए, तो 2017-18 में इसके जरिए रेलवे ने 441.62 करोड़ रुपये अर्जित किए। 2018-19 में रेलवे ने बिना टिकट सफर करने वाले मुसाफिरों पर अर्थदंड से 530.06 करोड़ रुपये कमाए। रेलवे ने अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 के बीच 89 लाख बिना टिकट के यात्रा कर रहे लोगों को पकड़ा है। पकड़े जाने पर बिना टिकट यात्रा करने वाले मुसाफिर को 250 रुपये का जुर्माना और टिकट का किराया देना होता है। अगर कोई शख्स जुर्माना देने से इनकार कर देता है या उसके पास जुर्माना देने के पैसे नहीं होते हैं तो उसे रेलवे सुरक्षा पुलिस (आरपीएफ) के हवाले कर दिया जाता है और रेलवे अधिनियम की धारा 137 के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। इसके बाद व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। वह उस पर एक हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगा सकते हैं। अगर शख्स जुर्माना नहीं भरता है तो उसे छह महीने की जेल की सज़ा काटनी होती है।

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