
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के मुताबिक इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत और श्रीलंका को जोड़ने के लिए प्राचीन भारतीयों द्वारा समुद्र के बीच में बनाया गया राम सेतु इंजिनियरिंग का अद्भुत नमूना है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि नीलकंठ शिव भारत की रक्षा करने के लिए विकसित देशों की प्रदूषित हवा को सोख लेते हैं। आईआईटी खड़गपुर के वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में ग्रेजुएट हुए इंजीनियरों से अपील की कि वे देश के भूतकाल के बारे में शोध करें और लोगों के कल्याण के लिए प्राचीन ज्ञान का इस्तेमाल करें। उन्होंने इस संबंध में शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की ओर से फंड दिलाने का वादा किया।
केंद्रीय मंत्री निशंक ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए दावा किया कि क्या इस पर कोई असहमति है कि हमारे इंजीनियरों ने राम सेतु का निर्माण कराया? दिमाग में बिठा लीजिए कि इसे बनाने के लिए कोई भी अमेरिका, ब्रिटेन या जर्मनी से नहीं आया था। ठीक है? सही है? बताइए न, आप चुप क्यों हैं? समारोह में मौजूद कुछ लोगों ने दबी जुबान में हां में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा जब भी हम अपनी पिछली उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं, कुछ लोग हमारे ऊपर हंसना शुरू कर देते हैं। हम अपने पेड़ों को भगवान और गंगा को मां मानते हैं। हिमालय नीलकंठ की तरह से खड़ा है और भगवान शंकर की तरह से विकसित देशों की प्रदूषित हवा को सोख रहा है।