
कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद यहां मोबाइल सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया था। अब प्रशासन ने जम्मू इलाके के जिलों में मोबाइल सर्विसेज बहाल करने का निर्णय लिया है। इससे पहले कश्मीर घाटी में लैंडलाइन टेलिफोन सेवाओं को चालू किया गया था। 5 अगस्त से जम्मू-कश्मीर में मोबाइल सेवाओं पर चल रही रोक पर प्रशासन ने थोड़ी राहत दी है। अब जम्मू क्षेत्र के पांच जिलों में मोबाइल सेवा पर लगी रोक हटाने का फैसला लिया गया है। जिन जिलों में मोबाइल सेवाएं बहाल हुई हैं, उनके नाम हैं- डोडा, किश्तवाड़, रामबन, राजौरी और पुंछ।
अनुच्छेद 370 और 35 ए को रद्द किए जाने के बाद कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पांच अगस्त को सभी फोन सेवा और इंटरनेट की सुविधा पर प्रतिबंध लगाया था। 20 अगस्त के बाद लोगों को धीरे-धीरे राहत देते हुए बीएसएनएल की लैंडलाइन फोन सेवा बहाल की गई। 96,000 लैंडलाइन फोन में से 80,000 फोन पहले से ही काम करने लगे हैं। दूसरी ओर ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा फिलहाल रद्द है। इस बीच जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार का अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के लोगों की भलाई के लिए है। उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन कश्मीर घाटी में मौतों का कोई आंकड़ा नहीं छिपा रहा है, यहां किसी की भी मौत नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 50 हजार नई सरकारी नौकरियां पैदा होंगी।
गवर्नर मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'हर कश्मीरी की जिंदगी कीमती है। क्या यह एक उपलब्धि नहीं है? यह सरकार के शांति बनाए रखने का परिणाम है और सब ने दिन-रात काम किया है कि किसी को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर धीरे-धीरे सामान्य हालात बहाल हो।' उन्होंने कहा कि लोगों ने काफी सहयोग किया और वे शांत रहे। मलिक ने कहा, 'प्रतिबंधों के परिणाम आपके सामने हैं। पुलिस की कार्रवाई में अब तक प्रदेश में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। 2008 के प्रदर्शन में 50 से अधिक लोग मारे गए थे। 2010 के प्रदर्शन में 100 अधिक लोगों की मौत हो गई थी।'