
कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल को 96 दिन बीत चुके हैं। इस कार्यकाल में जो तीन शब्द जो प्रभावित करते हैं,वे हैं दमन, अत्याचार और अराजकता है। उन्होंने कहा कि आज आर्थिक विकास दर पांच प्रतिशत है। लेकिन सिर्फ यही चिंता का कारण नहीं है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों को विकृत किया जा रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद खतरे में है। मनीष तिवारी ने कहा कि पीएम मोदी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व मजबूत हैं। लेकिन क्या कभी किसी ने वास्तव में सवाल किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों के संदर्भ में इसका क्या मतलब है।
उन्होंने कहा कि चीन के विपरीत, भारत अनिवार्य रूप से एक निजी अर्थव्यवस्था है। सरकार के व्यय और निवेश को छोड़कर भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों या निवेशकों का कोई विश्वास नहीं है। यही कारण है कि हमारी जीडीपी में कृषि का हिस्सा 14 प्रतिशत के निम्न स्तर तक गिर गया है। कृषि जो भारत के 65 प्रतिशत लोगों को रोजगार और जीविका प्रदान करती है। मुद्रा योजना पूरी तरह विफल रही है। इसमें दिए गए ऋणों में से मात्र 10 प्रतिशत ऋण ही नए रोजगार पैदा करने में सफल हो पाए हैं, जबकि 90 प्रतिशत ऋण विफल रहे हैं। विनिर्माण क्षेत्र में मांग नहीं होने के कारण देश के महत्वपूर्ण उद्योग मात्र 2.1 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। ग्रामीण भारत में लोगों के पास पार्ले जी का एक पैकेट खरीदने के लिए 5 रुपये का अधिशेष भी नहीं है। लोगों के पास कोई आय उपलब्ध नहीं है। इस मौके पर कश्मीर मुद्दे प मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पिछले एक महीना से कश्मीर में जन-जीवन पूरी तरह से ठप है। जम्मू और कश्मीर एक अघोषित आपातकाल की स्थिति में है,जहां नागरिक अधिकारों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है। असम में भी यही स्थिति है। पिछली एनआरसी लिस्ट के बाद 19 लाख से अधिक लोगों को राज्य-विहीन कर दिया गया है। क्या भारत सरकार के पास इन लोगों के लिए कोई नीति है?