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जुर्माना राशि गरीब की जेब पर हमला - नया मोटर व्हीकल एक्ट: सामने आने लगे मामले, मध्यप्रदेश ने किया इनकार

जुर्माना राशि गरीब की जेब पर हमला - नया मोटर व्हीकल एक्ट: सामने आने लगे मामले, मध्यप्रदेश ने किया इनकार

 संवेदनशील मुख्यमंत्री कमलनाथ मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माने के प्रावधान से असहमत है। उनका कहना है कि चालक का वेतन ही 8 से 10 हजार रुप्या प्रतिमाह है। ऐसी स्थिति में वह एक्ट के अनुसार जुर्माना भरेगा तो पूरे माह उसका परिवार भूखा रहेगा क्या। इसी तरह आम आदमी की प्रतिक्रिया सामने आई है कि मोदी सरकार जुर्माने के रुप में आम जनता की आह लेने का काम कर रही है। केन्द्र सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि 90 फीसदी परिवारों की आय 10 से 15 हजार रुप्या प्रतिमाह है। ऐसी स्थिति में वह हजारों रुप्यों का जुर्माना किस तरह भरेगा। 
नए मोटर व्हीकल (संशोधन) एक्ट-2019 को लेकर कुछ राज्यों ने अपनी शंकाओं को सामने रखा है। इसमें जुर्माना राशि एक बड़ा कारण है। इसके चलते ही मप्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने इसके पूरी तरह से लागू नहीं करने की बात कही है। गुरुग्राम में मंगलवार को एक 15 हजार रुपए कीमत की स्कूटी पर 23 हजार रुपए का जुर्माना सारे देश में चर्चा का विषय रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि गरीब व्यक्ति बड़े जुर्माने की राशि कैसे जुटाएगा? देश में आज 90 फीसदी लोगों की आय 10 से 15 हजार रुपए के बीच है। अगर किसी गलती के लिए एक व्यक्ति से 10 हजार रुपए जुर्माना वूसल लिया जाएगा, तो फिर वह अपना घर कैसे चलाएगा? केंद्र सरकार की नीति में यही ऐसा पेंच है, जिसका विरोध राज्य सरकारें कर रही हैं, और नीति लागू न करने की बात कह रही हैं।
मध्यप्रदेश में मोटर व्हीकल (संशोधन) एक्ट-2019 के 217 में से 63 प्रावधानों को लागू किया गया है। इसके अलावा 154 प्रावधानों के लिए समितियां बनाकर समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने परिवहन मंत्रालय के निर्देश के बाद स्पष्ट किया कि एक्ट का अध्ययन करने के बाद ही जनहित में फैसला लिया जाए। 
सामने आने लगे मामले
नए कानून के तहत अब मामले भी सामने आने लगे हैं। मंगलवार को गुरुग्राम में एक मामला सामने आया, जब एक व्यक्ति की पुरानी स्कूटी पर 23 हजार रुपए का जुर्माना कर दिया गया। हालांकि, इस स्कूटी की कीमत महज 15 हजार रुपए ही आंकी गई है। 
मंत्रालय ने कहा- कानून है, मानना होगा
केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने कहा कि संशोधित बिल राज्यों की मर्जी पर निर्भर नहीं है। यह कानून बन चुका है और लागू हो गया है। राज्यों को सेक्शन 200 के तहत सिर्फ कंपाउंडिंग का अधिकार दिया गया है। अन्य कोई अधिकार उन्हें नहीं दिए। ऐसे में इसे सभी राज्यों को हर हाल में लागू करना ही होगा। यदि वे एक्ट लागू नहीं करते हैं तो सीएजी भी राज्य को नुकसान की श्रेणी में डाल सकता है। 
अध्ययन करने के बाद देंगे प्रस्ताव
नए कानून में जुर्माना राशि इतनी अधिक रखी गई है कि गरीब व्यक्ति के लिए इसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा। देश में प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है। ज्यादातर लोग 15 से 20 हजार रुपए मासिक कमाते हैं। यदि इन पर कोई बड़ा जुर्माना होता है तो महंगाई और मंदी के इस दौर में ऐसा व्यक्ति कहां से भरपाई कर पाएगा?
जुर्माना भरने बेचना होगा वाहन : मंत्री जयवर्धन 
मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने केंद्र के इस कानून को तानाशाही भरा फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि इसका शिकार गरीब व मध्यम वर्ग होगा। यदि गलती से भी नियम टूटा तो कुछ लोगों को गाड़ी बेचकर ही जुर्माना भरना पड़ेगा।

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