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हम आक्रामक नहीं, पर आत्मरक्षा के लिए बल प्रयोग से नहीं हिचकेंगे : राजनाथ

हम आक्रामक नहीं, पर आत्मरक्षा के लिए बल प्रयोग से नहीं हिचकेंगे : राजनाथ

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा भारत कभी भी आक्रामक नहीं रहा है। उन्होंने कहा इसका यह मतलब नहीं है कि वह अपनी रक्षा में भी अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा। उन्होंने आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने वालों, उन्हें धन और ढांचागत सुविधाएं मुहैया करने वालों के खिलाफ कठोर वैश्विक कार्रवाई की अपील की। 
रक्षा मंत्री ने यह टिप्पणी कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की पृष्ठभूमि में सियोल में हुई रक्षा वार्ता में की। सिंह ने दक्षिण कोरिया के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में कहा, भारत का इतिहास देखें तो वह कभी भी हमलावर नहीं रहा है और न आगे होगा। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह खुद को बचाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करने से हिचकेगा। रक्षामंत्री ने पिछले माह संकेत दिए थे कि परिस्थितियों को देखते हुए भारत परमाणु हथियारों के पहले प्रयोग नहीं करने की दशकों पुरानी अपनी नीति को बदलने पर विचार कर सकता है। रक्षामंत्री तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को दक्षिण कोरिया पहुंचे थे। आतंकवाद को क्षेत्र के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा चुनौती करार देते हुए सिंह ने इस खतरे से निपटने में समन्वित वैश्विक प्रयास की जरूरत पर बल दिया। 
सियोल रक्षा वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा हमारे क्षेत्र में कई पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक चुनौतियां हैं, जैसे आतंकवाद, अंतरदेशीय अपराध, समुद्री खतरे, सतत विकास की चुनौतियां आदि। उन्होंने कहा हम जो कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनमें सबसे गंभीर आतंकवाद है। सिंह ने कहा आतंकवादियों का समर्थन करने वालों, उन्हें धन मुहैया करने वालों तथा उन्हें पनाहगाह मुहैया करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उस पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। सिंह ने कहा दुनिया का कोई भी देश आतंकवाद से सुरक्षित नहीं है। भारत सक्रिय रूप से आतंकवाद विरोधी सहयोग के लिए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, रक्षा कूटनीति भारत की सामरिक नीति का महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। 
दरअसल, रक्षा कूटनीति और मजबूत सैन्य बल रखना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ये साथ-साथ चलते हैं। सिंह ने अपने संबोधन में संसाधन समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र में साझा नियम आधारित व्यवस्था की जरूरत पर भी बात की। इस दौरान दक्षिण कोरिया के शीर्ष सैन्य अधिकारी और देश की रक्षा संस्थानों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था सभी राष्ट्रों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता तथा समानता पर आधारित होनी चाहिए, भले ही उसका आकार एवं बल कितना भी हो। 
उन्होंने कहा भारत इस क्षेत्र के लिए स्वतंत्र एवं समग्र संरचना का पक्षधर है। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। जिससे क्षेत्र के विभिन्न देशों में चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिका भारत-प्रशांत में भारत को बड़ी भूमिका निभाने का दबाव बना रहा है, जिसे कई देश क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के प्रयास के तौर पर देखते हैं। नवंबर 2017 में भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने हिंद-प्रशांत में अहम समुद्री मार्गों को चीन के प्रभाव से मुक्त करने के लिए एक नई रणनीति विकसित करने से मकसद से काफी समय से लंबित चारों देशों के गठबंधन को आकार दिया था।

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