
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक केस में शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण और मेट्रो में मुफ्त यात्रा का मुद्दा उठा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है, जिससे केजरीवाल सरकार को फटकार लगी वहीं काफी राहत भी मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार द्वारा महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त सफर की सुविधा देने की योजना पर सवाल उठाते हुए कहा सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि डीएमआरसी की वित्तीय हालत का उचित ध्यान रखा जाए और ऐसा कोई कदम न उठाया जाए जिससे इसे नुकसान हो। कोर्ट ने कहा कि मुफ्त यात्रा की सुविधा देने के बजाय सरकार को डीएमआरसी की आर्थिक सेहत के बारे में सोचना चाहिए।
दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि अगर आप लोगों को मुफ्त यात्रा कराएंगे तो यह परेशानी खड़ी करेगा। अगर कुछ फ्री में मिलता है तो ये समस्या पैदा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बातें दिल्ली सरकार के उस आपत्ति के बाद कहीं, जिसमें सरकार ने कहा कि वह मेट्रो के नुकसान में हिस्सेदार नहीं बनेगी। कोर्ट ने कहा कि राज्य परिवहन के लिए जिम्मेदार है। हमें इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता क्योंकि मेट्रो को नुकसान होता है तो उसे राज्य द्वारा वहन किया जाना चाहिए क्योंकि दिल्ली मेट्रो राज्य के अंदर ही संचालित होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के लिए भूमि की लागत का खर्च केंद्र एवं दिल्ली सरकार ५०:५० के अनुपात में वहन करेंगे। कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली मेट्रो रेल के चौथे चरण में कोई परिचालन घाटा होता है तो उसे दिल्ली सरकार वहन करेगी।