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मुस्लिम लड़की कब बालिग, विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

मुस्लिम लड़की कब बालिग, विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

मुस्लिम लड़की कब बालिग, विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है, जिसमें एक नाबालिग मुस्लिम लड़की ने कहा है कि उसने मुस्लिम कानून के हिसाब से निकाह किया है। वह प्यूबर्टी (रजस्वला) की उम्र पा चुकी है और अपनी जिंदगी जीने को आजाद है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने लड़की की शादी को शून्य करार देते हुए उसे शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि वह शादीशुदा है और ऐसे में उसे दांपत्य जीवन बसर करने की इजाजत दी जाए। यह मामला अयोध्या का है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान मामले में सुनवाई के लिए सहमति देते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। हाई कोर्ट ने शादी को दिया शून्य करार  दरअसल लड़की की उम्र 16 साल बताई गई। इसके बाद अयोध्या की निचली अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि लड़की चूंकि नाबालिग है ऐसे में उसे शेल्टर होम भेजा जाए। लड़की ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता लड़की नाबालिग है और वह अपने पैरंट्स के साथ नहीं रहना चाहती, लिहाजा उसे शेल्टर होम में भेजने का आदेश सही है। साथ ही हाई कोर्ट ने शादी को शून्य करार दे दिया।

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