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(नई दिल्ली) आयुर्वेद में गुर्दे को दुरुस्त रखने की क्षमता

(नई दिल्ली) आयुर्वेद में गुर्दे को दुरुस्त रखने की क्षमता

(नई दिल्ली) आयुर्वेद में गुर्दे को दुरुस्त रखने की क्षमता 
नई दिल्ली । आयुर्वेद में गुर्दे को दुरुस्त रखने की क्षमता है। यह न सिर्फ गुर्दे के उपचार में कारगर है बल्कि बीमारियों से भी बचाता है। इसके फार्मूले गुर्दे को नुकसान पहुंचाने वाले घातक तत्वों को बेअसर करते हैं। कोलकाता में चल रहे भारत अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान मेले में विशेषज्ञों ने यह बात कही। इस उपचार पैथी को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर परखे जाने की जरूरत है ताकि इसे व्यापक स्तर पर अपनाया जा सके। विज्ञान मेले में आयुर्वेद की बढ़ती उपयोगिता पर पहली बार विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बॉयोलॉजी में आयोजित सत्र में आयुर्वेद एवं एलोपैथी के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुभाष मंडल ने की। डॉ. भवदीप गंत्रा ने सीक्रेट ऑफ आयुर्वेद पर व्याख्यान दिया। आयुर्वेद के ‘नीरी केएफटी' फार्मूले का जिक्र करते हुए संचित शर्मा ने कहा कि यह गुर्दे में ह्यटीएनएफ अल्फाह्ण के स्तर को नियंत्रण में रखता है। टीनएफ एल्फा परीक्षण से ही गुर्दे में हो गड़बड़ियों का पता चलता है। उन्होंने कहा कि जो लोग निरंतर दर्द निवारक दवाएं ले रहे हों या जिनमें किन्हीं अन्य कारणों से गुर्दे की कार्यप्रणाली में गिरावट आ रही है, उन लोगों में आयुर्वेद का यह फार्मूला कारगर हो सकता है क्योंकि यह दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव के साथ-साथ अन्य दूषित तत्वों को नियंत्रित करता है। वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि आयुर्वेद में उन बीमारियों का भी इलाज है जिनका एलोपैथी में नहीं है। लेकिन उन्हें आधुनिक चिकित्सा की कसौटी पर परखे जाने की जरूरत है।
 

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