
बीसीसीआई की रिटायरमेंट पॉलिसी के चलते देश के 17 स्कोरर्स भी निराश
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की रिटायरमेंट पॉलिसी के चलते 17 स्कोरर्स काफी निराश है और वे इसके चलते जल्द ही सेवानिवृत्ति ले सकते हैं। दरअसल, भारत में क्रिकेट और क्रिकेटरों को दीवानगी की हद तक पसंद किया जाता है। मैदान पर चौकों-छक्कों की बारिश देखने के लिए लोग हमेशा तैयार रहते हैं। हर कोई खिलाड़ियों के बारे में बातें करता नजर आता है। मगर वास्तव में ये खेल सिर्फ खिलाड़ियों का नहीं है। एक क्रिकेट मैच के आयोजन में हजारों लोगों का योगदान होता है। सब लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाते हैं तब जाकर प्रशंसक मैदान पर क्रिकेट के रोमांच से रूबरू हो पाते हैं। मगर बीसीसीआई की रिटायरमेंट पॉलिसी ने ऐसे ही कुछ लोगों के सामने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। दुनियाभर में मैच कहीं भी खेला जा रहा हो, क्रिकेट प्रशंसकों की जुबां पर यही एक सवाल रहता है, 'स्कोर क्या हुआ है?' मगर क्या आप जानते हैं कि आप तक सही स्कोर पहुंचाने की जिम्मेदारी किन लोगों पर होती है। जी हां, स्कोरर्स पर। यही वे लोग होते हैं जो पल-पल बदलते मैच के रोमांच को स्कोर अपडेट कर आप तक पहुंचाते हैं। लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर इन स्कोरर्स से कहा जाए कि अब आपकी सेवाओं की जरूरत नहीं है तो इन पर क्या बीतेगी। और वो भी तब जबकि संस्था की तरफ से आपको औपचारिक तौर पर इसकी जानकारी तक नहीं दी जाएगी। बीसीसीआई की रिटायरमेंट पॉलिसी के चलते देश के 17 स्कोरर्स भी इतने ही निराश, नाराज और टूटे हुए महसूस कर रहे हैं।
दरअसल, बीसीसीआई की रिटायरमेंट पॉलिसी के चलते इस सत्र की शुरुआत तक 60 साल के हो चुके 17 स्कोरर्स पर आगे काम नहीं मिलने का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि बीसीसीआई की ओर से इन्हें रिटायरमेंट को लेकर कोई इशारा नहीं किया गया है, लेकिन इस सीजन के लिए इन्हें आगे कोई भी काम नहीं दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन स्कोरर्स ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को लिखे पत्र में कहा है, 'अगर हमें ये बता दिया जाता कि आने वाला सीजन आपका आखिरी होगा तो ये अच्छा रहता। इससे स्कोरर्स को ये बात स्वीकारने में आसानी रहती।' एक स्कोरर्स ने तो यहां तक कहा, 'हम एक तरह से बीसीसीआई के कर्मचारी नहीं हैं तो रिटायर कैसे हो सकते हैं। इसके अलावा अंपायरों, मैच रेफरी की तरह हमें अधिक मैच फीस, पेंशन जैसे लाभ भी नहीं मिलते हैं। हमनें जुनून के लिए ये काम किया है। यहां तक कि प्रतिदिन 50 रुपये से इसकी शुरुआत की थी। हमें कई बलिदान भी करने पड़े। कई स्कोरर्स ने तो अपने प्रमोशन तक इसलिए छोड़ दिए क्योंकि वे अपने सेंटर पर ही स्कोरिंग करना चाहते थे।'
एक स्कोरर्स ने कहा, 'दुनिया के किसी भी देश में स्कोरर्स के काम करने के लिए अधिकतम उम्र सीमा निर्धारित नहीं है। यहां तक कि कई जगह तो लोग अपने प्रोफेशनल करियर से रिटायर होने के बाद स्कोरिंग को अपना प्रोफेशन बना लेते हैं।' बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को लिखे पत्र में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप में एक स्कोरर की उम्र तो 70 साल से भी अधिक थी। एक स्कोरर ने कहा कि अंपायरों जैसी फिटनेस की दरकार नहीं है। जब तक हमें ठीक से दिखाई दे रहा है, हम स्वस्थ हैं। साल 2014 के बाद से कोई नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में जबकि आपके पास बैकअप नहीं है तो मौजूदा स्कोरर्स को कैसे रिटायर किया जा सकता है।