
कार्वी के 87 फीसदी क्लाइंट्स को वापस मिले शेयर
डिपॉजिटरीज ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के क्लाइंट्स के 87 प्रतिशत हिस्से के शेयर उनके डीमैट अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए हैं। सेबी ने डिपॉजिटरीज को ऐसा करने का निर्देश दिया था। ये शेयर कथित रूप से तीन प्राइवेट बैंकों और एक एनबीएफसी के पास गिरवी रख दिए गए थे। इससे पहले कि लेंडर्स इन पर क्लेम कर सकें, इन्हें निवेशकों के अकाउंट में वापस भेज दिया गया। इसे देखते हुए कार्वी को कर्ज देने वालों में शामिल बजाज फाइनैंस इस कदम के खिलाफ सिक्यॉरिटीज अपीलेट ट्राइब्यूनल पहुंच गई। हैदराबाद की कार्वी ने करीब 95000 क्लाइंट्स के 2300 करोड़ रुपए के शेयर आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक और बजाज फाइनेंस के पास गिरवी रख दिए थे और अपने लिए 600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। ट्रांसफर किए गए शेयर कार्वी के उन क्लाइंट्स के हैं, जिन्होंने उनके लिए पूरा भुगतान कर दिया था, लेकिन पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग करते हुए उन शेयरों को गिरवी रख दिया गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने को कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस हर सेगमेंट के लिए सस्पेंड कर दिया। यह कदम रेग्युलेटरी प्रावधानों का पालन नहीं करने पर उठाया गया। एनएसई ने कहा कि ब्रोकरेज फिलहाल कैपिटल मार्केट, फ्यूचर्स ऐंड ऑप्शंस, करेंसी डेरिवेटिव्स, डेट, म्यूचुअल फंड सर्विस सिस्टम और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में कारोबार नहीं कर सकेगी। इस ऐक्शन के बाद बीएसई ने भी ब्रोकरेज के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए।