
सदन में सरकार ने किया साफ, बैकों के विलय से किसी की नौकरी नहीं जाएगी
मोदी सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में सार्वजनिक क्षेत्रों के विभिन्न बैंकों के विलय से नौकरियां जाने की आशंका को सिरे से खारिज किया है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि इस फैसले के बाद किसी की नौकरी नहीं जाएगी बल्कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा होगी और ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिलेगी। अनुराग ठाकुर ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि विभिन्न बैंकों के विलय से वे मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनने वाले है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं खत्म हो। बैंकों के विलय से कर्मचारियों को अधिकतम लाभ होगा और विलय में उनके हितों को ध्यान में रखा रहा है। ठाकुर ने कहा कि विलय प्रक्रिया के दौरान सरकार ने पर्याप्त सावधानी बरती है। उन्होंने कहा कि 1998 में नरसिम्हन समिति और इसके बाद में बनी लीलाधर समिति आदि ने बैंकों के विलय की सिफारिश की थी। लेकिन पिछली सरकारों ने इसपर काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों (पीएसबी) का विलय कर उन्हें चार पीएसबी में बदलने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसका लक्ष्य मजबूत बैंक तैयार करना है। इस कदम के तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) का विलय पंजाब नेशनल बैंक में होगा, जबकि इलाहाबाद का इंडियन बैंक के साथ विलय होगा। उन्होंने कहा कि यूबीआई का कुल कारोबार 2,08,000 करोड़ का है, जबकि पीएनबी का 11,82,224 करोड़ रुपये है। विलय के साथ, कुल कारोबार आकार 17,94,526 करोड़ रुपये होगा और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।