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 आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक से ज्यादा घटाकर पांच फीसदी किया

 आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक से ज्यादा घटाकर पांच फीसदी किया

 आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक से ज्यादा घटाकर पांच फीसदी किया
 भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू और बाहरी मांग का कमजोर होना बताया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही है। यह पिछले छह वर्ष का सबसे निचला स्तर है। इसकी प्रमुख वजह कृषि और विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहना रहा है। रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी अपनी पांचवी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, ‘2019-20 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान घटाकर पांच प्रतिशत किया जाता है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति में यह 6.1 प्रतिशत था।’ रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.9 से 5.5 प्रतिशत और 2020-21 की पहली छमाही में 5.9 से 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। समीक्षा रपट के अनुसार नीतिगत दर में कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचने में सुधार आने और वैश्विक व्यापार तनाव के समाधान की उम्मीद के चलते वृद्धि की संभावना बेहतर हुई है। वहीं घरेलू मांग के सुधरने में देरी, भू-राजनैतिक तनाव और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में नरमी से नीचे जाने का जोखिम भी है। रपट के अनुसार हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि नीतिगत दर में फरवरी 2019 से लगातार कमी की गयी है और सरकार ने भी पिछले कुछ महीनों में राहत के कई कदम उठाए हैं। इससे घरेलू मांग और बाजार धारणा सुधरने की उम्मीद है। मौद्रिक नीति पर विचार करने वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि हालांकि, आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई हैं और उत्पादन एवं खपत का अंतर भी नकारात्मक बना हुआ है। रपट में कहा गया है कि कारपोरेट वित्तपोषण के आंकड़े और बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा मंजूर की गई परियोजनाओं से निवेश गतिविधियों में जल्द सुधार के संकेत दिखते हैं। लेकिन यह संकेत कितने टिकाऊ हैं इस पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।

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