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बर्फ पिघलने के कारण गांव पर पोलर भालुओं का कब्जा, दहशत में लोग

बर्फ पिघलने के कारण गांव पर पोलर भालुओं का कब्जा, दहशत में लोग

बर्फ पिघलने के कारण गांव पर पोलर भालुओं का कब्जा, दहशत में लोग
 मौसम बदलने का असर जानवरों को भी प्रभावित करता है। जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक में बड़े स्तर पर बर्फ पिघलने कारण अलग-अलग उम्र के शावकों के साथ करीब 56 ध्रुवीय भालू बर्फीले क्षेत्र से गांव में घुस आए हैं। इन भूखे शिकारी भालुओं की वजह से गांव के करीब 700 लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। इसकी वजह से सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है। यह दूसरी बार है कि इस गांव के लोगों ने अपने दरवाजे पर ध्रुवीय भालुओं का सामना किया है। रूस के टेलीविजन चैनलों में फिलहाल इन भालुओं का आतंक चर्चा का मुद्दा बना है। हाल ही में सोशल मीडिया में कुछ वीडियो क्लिप वायरल हुई हैं, जिनमें लोगों को इस खूंखार जानवर का सामना करते देखा गया। अधिकारियों ने 600 किलो वजनी और 40 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकने वाले इन भालुओं से लोगों को बचने की सलाह दी है। रूस में इन्हें गोली मारना गैरकानूनी है। इससे पहले साल की शुरुआत में रूस के दूर-दराज के इलाके नोवा जिमिया द्वीप में दर्जनों भूखे पोलर बियर्स घुस आए थे। लिहाजा, लोगों को घरों में बंद रहने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसे देखते हुए अधिकारियों ने इलाके में इमरजेंसी लगाते हुए विशेषज्ञों की एक टीम लगाई थी जिसने भालुओं को इलाके से बाहर निकाला था। साल 2016 में भी ऐसी ही घटना हुई थी। उस वक्त मौसम की जांच करने वाली टीम रिमोट इलाके ट्रिनॉय में दो हफ्ते तक फंसी रही थी। वैज्ञानिकों ने कहा है कि गर्मियों में जब बर्फ पिघलने लगती है तो ध्रुवीय भालू आबादी वाले इलाकों का रुख करते हैं। उन्‍होंने चेताया है कि साल 1990 के बाद से बर्फ पिघलने के मौसम की अवधि में औसतन 36 दिनों तक बढ़ गई है। अमेरिकी भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के ध्रुवीय भालू अनुसंधान कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे वन्यजीव जीव विज्ञानी टॉड एटवुड की मानें तो पिछले दशक के मुकाबले अब ध्रुवीय भालू आबादी वाले इलाकों में ज्यादा दिखने लगे हैं।

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