
160175 करोड़ रुपए से बदलेगी भारतीय रेलवे की सूरत -अनिल कुमार सक्सेना
भारतीय रेलवे, अपनी सेवाओं, रेलगाड़ियों और उनके परिचालन तंत्र का समय-समय पर आधुनिकीकरण करता रहता है, ताकि अपने यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करा सके। रेलवे का ध्यान केवल यात्री सुविधाओं तक ही सीमित नहीं है। ट्रेनों के परिचालन से जुड़े सभी पक्षों पर समान रुप से काम किया है। हाल के सालों में रेलवे व्यापारियों की बहुत बड़ी जरूरत बन गया है। उनकी जरूरत के लिहाज से रेलवे द्वारा किए गए बदलावों का ही नतीजा है कि हाल के सालों में विभिन्न उपभोक्ता उत्पादों का परिवहन रेलवे की आय का प्रमुख साधन बन गया है। रेलवे ने आधुनिकीकरण परियोजनाओं पर 2019-20 के लिए 160175 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है, जिसमें 66105 करोड़ रुपए बजटीय प्रावधान से, 10500 करोड़ रुपए आंतरिक संसाधनों से और 83571 करोड़ रुपए अतिरिक्त बजटरी रिसोर्सेज से जुटाने का लक्ष्य है।
भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त और ग्राहकोन्मुख बनाते हुए हाल के दिनों में ढ़ांचागत सुविधाओं में बड़ा बदलाव किया है। इसके लिए कई आधुनिकीकरण परियोजनाएं शुरु की गई हैं, रेल परिवहन में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दो फ्रेट कारीडोरों-ईस्टर्न कारीडोर और वेस्टर्न कारीडोर का निर्माण शुरु किया गया है। इसमें ईस्टर्न फ्रेट कारीडोर की लंबाई 1856 किमी है, जबकि वेस्टर्न फ्रेट कारीडोर की लंबाई 1504 किमी है। साथ ही मुंबई से अहमदाबाद के बीच 500 किमी लंबे हाईस्पीड रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत भी की गई है। इन सभी परियोजनाओं में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भारतीय रेल दुनिया के किसी भई आधुनिकतम रेल नेटवर्क के मुकाबले खड़ी हो सकेगी।
भारतीय रेलवे ने ट्रैक स्ट्रक्चर में भी बड़ा बदलाव किया है। आधुनिक फिटिंग के साथ प्री स्ट्रेस्ड कांक्रीट स्लिपर्स लगाने के अलावा लंबी पटरियों का इस्तेमाल हाल के दिनों में किए जाने वाले कुछ बड़े बदलाव हैं। पटरियों के अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्शन टेस्टिंग, पुलों की वास्तविक हालत की जानकारी के लिए पहचान प्रणाली अपनाने, मानवरहित रेलवे क्रासिंग खत्म करने और गति में तेजी लाने के प्रयासों ने भारतीय रेलवे को हाल के दिनों में यात्रा और माल परिवहन दोनों ही लिहाज से अतुलनीय बना दिया है। भारतीय रेलवे ने अपने चुनिंदा मार्गों पर आटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) सिस्टम की शुरुआत कर दी है। माडर्न ट्रेन कंट्रोल सिस्टम के ट्रायल के लिए भारतीय रेलवे ने 2018-19 में 1609 करोड़ रुपए की लागत से 640 किलोमीटर लंबाई वाले चार मार्गों पर आटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को मंजूरी दी है। इसके साथ ही सभी रेल लाइनों का शत प्रतिशत विद्युतीकरण करने के लिए वृहद पैमाने पर काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही डीजल रेल इंजनों को धीरे-धीरे विद्युत इंजनों में बदलने का काम किया जा रहा है। वायु और ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके। वित्त वर्ष 2018-19 से ट्रेनों में आधुनिकतम लिंक हाफ्मैन बुश (एलएचबी) कोच लगाए जा रहे हैं। इस बीच देश की पहली सेमी हाईस्पीड इंटरसिटी ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस शुरु की गई है। जिसे ट्रेन-18 के नाम से भी जाना जाता है। इस ट्रेन को इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई ने तैयार किया है। फरवरी 2019 में शुरु की गई यह रेलगाड़ी फिलहाल देश की सबसे तेज ट्रेन है।
हाल के दिनों में रेलवे ने अपनी सूचना तकनीक को दुरस्त करने पर भी विशेष जोर दिया है, ताकि यात्रियों को ट्रेनों के बारे में बिल्कुल सही-सही जानकारी दी जा सके। टिकट बुक करने के लिए आनलाइन टिकट बुकिंग सुविधा के अलावा यात्रियों की जरूरत के हिसाब से खाने और स्टेशन पर मिलने वाली अन्य सुविधाओं को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है। रेलवे द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों की ठीक-ठीक जानकारी के लिए डिजिटल गवर्नेंस को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। रेलवे की आय बढ़ाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध भूमि के व्यावसायिक दोहन की भी योजना बनाई गई है। अब तक 1615 रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। बाकी स्टेशनों पर भी जल्दी ही वाईफाई सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी।
मेनलाइन पैसेंजर ट्रेनों के 1300 कोचों और 473 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 6168 स्टेशनों और 7020 कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की योजना है। इस समय 240 स्टेशनों पर 669 स्केलेटर लगाए गए हैं, जबकि 214 स्टेशनों के लिए 493 लिफ्ट उपलब्ध कराई गई हैं। रेलवे ने आधुनिकीकरण परियोजनाओं पर सन 2019-20 के लिए 160175 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है, जिसमें 66105 करोड़ रुपए बजटीय प्रावधान से, 10500 करोड़ रुपए आंतरिक संसाधनों से और 83571 करोड़ रुपए एक्ट्रा बजटरी रिसोर्सेज से जुटाने का लक्ष्य है।